GyanPeeth Award 2023: गीतकार गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को मिलेगा साल 2023 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार

GyanPeeth Award 2023: गीतकार गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को मिलेगा साल 2023 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार

महान फिल्मकार और गीतकार कवि गुलजार के साथ-साथ संस्कृत भाषा के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुरस्कार से जुड़े सेलेक्शन पैनल ने बताया कि गुलजार और जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 के लिए चुना गया है।

अपनी बेहद शानदार रचना के लिए दुनियाभर में पहचाने जाने वाले गीतकार गुलजार को उर्दू भाषा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे जाने का ऐलान किया गया है। साथ ही जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भी संस्कृत भाषा में उनके योगदान के लिए साहित्य के इस शीर्ष सम्मान के लिए नाम चयनित किया गया है।

धर्मचक्रवर्ती, तुलसीपीठ के संस्थापक, पद्मविभूषण रामभद्राचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में शास्त्रों के उद्धरण के साथ गवाही भी दी थी। उनका वास्तविक नाम गिरिधर मिश्र भी है, जिनका जन्म 14 जनवरी 1950 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 ई. से प्रतिष्ठित हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं । उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है।

गुलजार हिंदी सिनेमा में अपनी गीत रचना और नायाब फिल्म बनाने के लिए पहचाने जाते हैं और वर्तमान समय के शानदार उर्दू कवियों में भी शुमार किए जाते हैं।हिंदी फिल्मों में अपने गीतों से इश्क का गुलशन महकाने वाले गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1936 को दीना, जिला झेलम पाकिस्तान में हुआ था। प्रमुख कृतियां पुखराज, एक बूंद चांद, चौरस रात, रवि पार, कुछ और नज़्में, यार जुलाहे आदि हैं। गुलज़ार का पूरा नाम संपूरण सिंह कालरा है। त्रिवेणी छंद के सृजक हैं। कवि, गीतकार और फिल्म निर्देशक हैं। इनके पिता  का नाम माखन सिंह कालरा और मां का नाम सुजान कौर था। विभाजन बाद गुलजार का परिवार भारत आ गया। मुंबई के वर्ली में अपने संघर्ष के दिनों में गुलजार ने कार मैकेनिक का कार्य किया। फिल्म अभिनेत्री राखी से विवाह किया। गुलजार का पहला गीत ‘मोरा गोरा अंग लै ले’ बिमल राय की फिल्म बंदिनी से था। इसके अलावा फिल्म सदमा से ऐ जिंदगी गले लगा ले, आंधी से तेेरे बिना जिंदगी से, गोलमाल से आने वाला पल जाने वाला है, खामोशी से हमने देखी हैं आंखों से, मासूम से तुझसे नाराज नहीं जिंदगी, परिचय से मुसाफिर हूं यारों, थोड़ी सी बेवफाई से हजार राहें मुड़ के देखी आदि अन्य नगमें हैं। आनंद, गुड्डी, बावर्ची, नमक हराम, दो दूनी चार, खामोशी, सफर की कहानी लिखी। इसकेे अलावा फिल्म मेरे अपने के निर्माता रहे। कोशिश, परिचय, अचानक, आंधी, खुश्बू, मौसम, अंगूर, लिबास, माचिस, हू तू तू आदि फिल्में भी बनाई। फिल्म कोशिश, मौसम और इजाजत के लिए 3 नेशनल अवार्ड और 47 फिल्म फेयर अवार्ड मिले। इसके अलावा 2004 में पद्मभूषण, 2013 में दादा साहेब फाल्के अवार्ड मिला।

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427