Hanuman still physically present : 5 हनुमान जी सशरीर आज भी हैं मौजूद, इनको भी मिला अमरत्व का वरदान
Hanuman still physically present: हिंदु पचांग के अनुसार कल चैत्र मास की पूर्णिमा है. इस दिन रामभक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है. हनुमान जी को अमर होने का वरदान था वह आज भी धरती पर मौजूद हैं. उनको अमरत्व का वरदान मां सीता ने तब दिया था जब हनुमान जी उनका पता लगाने लंका गए थे.
जब हनुमान जी को माता सीता पहचान नहीं पायी तब उन्होंने अपने प्रभु श्री राम की मुद्रिका दिखाई. जिस पर मां सीता बहुत प्रसन्न हुई और उनको अजर-अमर होने का वरदान दिया.
इसके अलावा जब प्रभु श्री राम अपनी लीला समाप्त कर अयोध्या छोड़ बैकुण्ठ पधारने लगे तब हनुमान जी ने पृथ्वी पर ही रुकने की इच्छा व्यक्त की. तब भगवान श्री राम ने उन्हें वरदान देते हुए कहा था कि जबतक धरती पर मेरा नाम रहेगा तब तक आप भी पृथ्वी पर विराजमान रहेगे. भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी ने रामायण से लेकर महाभारत तक अनेक लीलाएं की.
Hanuman still physically present: ग्रंथों में हैं ऐसे पात्र जो अमर हैं
ग्रंथों में वर्णित है कि हनुमान जी के अलावा 8 ऐसे पात्र हैं जो अमर हैं. किसी को श्राप के कारण तो किसी को आर्शीवाद के कारण यह वरदान मिला.
अश्वत्थामा: महाभारत के अनुसार गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम अश्वथामा था. द्वापर युग में हुए युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों की ओर से युद्ध किया था. उस समय अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था. वह इसे वापस नहीं ले सका. इस वजह से श्रीकृष्ण ने उसे पृथ्वी पर भटकते रहने का शाप दिया था.
Hanuman still physically present: राजा बलि
दैत्यराज बलि ने अपने बल एवं पराक्रम से देवताओं को हराकर समस्त लोको पर अपना अधिकार जमा लिया था जिसके कारण देवताओं ने श्रीहरि से जाकर विनती की. तब भगवान ने बामन अवतार धारण कर राजा बलि से भिक्षा में उसका सर्वस्व हर लिया था और उसने भी अपना सर्वस्व बालक बामन पर खुशी खुशी न्यौछावर कर दिया था.
जिससे खुश होकर भगवान श्रीहरि ने उसे अनंत काल के लिए पाताल लोक का राजा नियुक्त किया था और आज भी ऐसी मान्यता है कि राजा बलि पाताल पर राज कर रहे है और प्रतिवर्ष चार माह के लिए भगवान बैकुण्ठ छोड़ राजा बलि को दर्शन देने स्वय पाताल पधारते हैं.
Hanuman Janmotsav 2024: भगवान शिव को अपने 11वें अवतार में क्यों लेना पड़ा हनुमान रूप!
Hanuman still physically present:वेद व्यास
भगवान श्रीहरि के अंश कहे जाने वाले महर्षि वेद व्यास जी ने श्रीमदभगवद महापुराण समेत अनेकों अनेक ग्रन्थ उदभासित किये. सांवले रंग के होने के कारण और समुन्द्र के बीच एक द्वीप पर जन्म होने के कारण उन्हें इन्हें “कृष्ण द्वैपायन” के नाम से भी जाना जाता है. यह महर्षि पाराशर एवं माता सत्यवती के पुत्र थे, और श्री शुकदेव जी महाराज के पिता थे.
आज भी वेदव्यास जी द्वारा कृत भगवदपुराण समस्त सृष्टि में पूजा जाता है क्योकि भगवान कृष्ण ने अपनी लीला समाप्ति के समय बैकुण्ठ जाने से पहले अपने स्वरूप को भगवद जी में विराजमान कराया था.http://Hanuman still physically present: परशुराम जी
Hanuman still physically present:कृपाचार्य
कृपाचार्य कौरवों एवं पाण्डवों दोनों के गुरु थे, वे महर्षि गौतम शरद्वान के पुत्र थे. वे अश्वत्थामा के मामा थे क्योंकि उनकी बहन कृपी का विवाह द्रोणाचार्य से हुआ था. कृपाचार्य उन तीन गणमान्य व्यक्तियों में से एक थे जिन्हें भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन प्राप्त हुए,
वे सप्तऋषियों में से एक माने जाते है और महाभारत युद्ध में अपनी निष्पक्षता के चलते प्रचलित थे, उन्होंने दुर्योधन को पांडवो से सन्धि करने के लिए बहुत समझाया था परंतु दुष्ट दुर्योधन ने इनकी बात भी नहीं मानी. इन्ही कारणों से उन्होंने अमरत्व का वरदान भी प्राप्त किया.
Hanuman still physically present: विभीषण
लंकापति रावण के छोटे भाई और राम भक्त विभीषण को भी अमरत्व का वरदान प्राप्त है. राम-रावण युद्ध में सत्य का साथ देने वाले महाराज विभीषण ने अपने भाई को छोड़ भगवान श्री राम के पाव पकड़े जिसके परिणामवश रावण का अंत कर भगवान श्री राम ने खुद लंका पर आधिपत्य ना जमा कर महाराज विभीषण को लंका का राजा बनाया और धर्म-शास्त्रों का अनुसरण करने का आदेश दिया.
Hanuman still physically present: परशुराम जी
श्रीहरि विष्णु के छठवें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम को अमरत्व का वरदान प्राप्त है और तो और जिस दिन इनका जन्म हुआ था यानि वैसाख शुक्ल तृतीया को भी इनके कारण अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है. वैसे तो इनका नाम राम था परंतु भगवान शिव ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इन्हें एक फरसा दिया था जो सदैव इनके साथ ही रहता है और जिसके कारण इनका नाम भी परशुराम पड़ा. भगवान परशुराम के प्राकट्य का काल तो पता नहीं परंतु सतयुग, द्वापरयुग एवं त्रेतायुग तीनो ही युगों में भगवान परशुराम का वर्णन मिलता है. भगवान परशुराम अत्यंत बलवान थे और इन्होने 21 बार धरती को क्षत्रियहीन किया था.