मैं आज प्रभु राम से क्षमा मांगता हूं, भावुक होकर बोलें पीएम मोदी
Ayodhya:अयोध्या के भव्य राम मंदिर में सोमवार को राललला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई. पीएम मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान रहे. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पूजन-अर्चन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर परिसर से रामभक्तों को संबोधित किया. मंच पर आते ही पीएम मोदी ने जय श्रीराम के नारे लगाए. इसके बाद पीएम मोदी का गला रूंध गया. पीएम मोदी काफी भावुक हो गए. पीएम मोदी ने कहा कि वह आज प्रभु राम से क्षमा मांगते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि आज जो 500 सालों बाद रामभक्तों को राम मंदिर मिला है. ये काल के चक्र पर अमिट रेखाएं हैं. माता जानकी, भरत, लक्ष्मण सबको प्रणाम करते हैं. उन्होंने कहा कि वह गर्भगृह में साक्षी बनकर आपके सामने खड़े हैं. अब हमारे रामलला टेंट में नहीं रहेंगे. यह कहकर वह काफी भावुक हो गए. इसके कुछ देर बाद पीएम मोदी बोले कि रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे. ये क्षण उनके लिए आलौकिक है. उन्होंने कहा कि ये क्षण पवित्र है. प्रभु राम का हम सबपर आर्शीवाद है.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह आज भगवान श्रीराम से क्षमा मांगते हैं. हमारे पुरुषार्थ, त्याग और तपस्या में कुछ तो कमी रही होगी जो हम इतनी सदियों तक मंदिर बनाने का ये काम नहीं कर पाए. आज वो कमी पूरी हो गई है. मुझे विश्वास है कि प्रभु श्रीराम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे.
राम भारत की प्रतिष्ठा और शान-पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि यह राम के रूप में राष्ट्रीय चेतना का मंदिर है. राम भारत की आस्था हैं, राम भारत की नींव हैं. राम भारत का विचार हैं, राम भारत का कानून हैं. राम भारत की प्रतिष्ठा हैं, राम भारत की शान हैं. राम नेता हैं और राम ही नीति हैं. राम शाश्वत हैं. जब राम का सम्मान होता है तो उसका प्रभाव वर्षों या सदियों तक नहीं रहता, उसका प्रभाव हजार सालों के लिए होता है.
1 हजार साल के भारत की रखनी है नींव
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि मुझे सागर से सरयू तक यात्रा करने का अवसर मिला है. सागर से सरयू तक, हर जगह राम नाम का वही उत्सव दिख रहा है. हर जगह लोग रामलला को लेकर काफी उत्साहित दिखे. पूरा देश रामभक्ति में रमा हुआ है. इसके साथ ही पीएम ने कहा कि आज से इस पवित्र समय से अगले 1 हजार साल के भारत की नींव रखनी है. मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर हम सभी देशवासी इस पल से समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं.