interim bail: केजरीवाल को नही मिली अंतरिम जमानत, अब 9 मई को फैसला, क्या होती है अंतरिम जमानत और कब, किसे और कैसे मिलती है?
interim bail: शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत नहीं मिली. दो दिन बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट फिर सुनवाई करेगा. दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सभी की दलीलें सुनीं लेकिन इस पर आज अपना फैसला नहीं सुनाया.
केजरीवाल के खिलाफ ईडी की मनी-लॉन्ड्रिंग जांच 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना की शिकायत पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक मामले से शुरू हुई है. यह आरोप लगाया गया है कि कुछ शराब विक्रेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में खामियां पैदा करने के लिए केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य AAP नेताओं द्वारा एक आपराधिक साजिश रची गई थी. केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह तिहाड़ जेल में बंद हैं.
interim bail: क्या होती है अंतरिम जमानत
हमारे देश के संविधान मेंं व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है और उसे मौलिक अधिकार का दर्ज़ा दिया गया है. आपराधिक कानून के अंतर्गत जमानत का मूल उद्देश्य व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बनाए रखना ही है. जमानत का सीधा सा मतलब एक आश्वासन होता है कि जब भी आवश्यक होगा, तब आरोपी अदालत में पेश होगा और मामले की जांच और सुनवाई में पूरा सहयोग करेगा.http://अंतरिम जमानत की विशेषताएं
किसी भी व्यक्ति को किसी भी अपराध के लिए दोषी साबित होने तक उसके निर्दोष होने की अवधारणा को जमानत के माध्यम से उजागर किया जाता है, जो भारतीय कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए अंतरिम जमानत तब दी जाती है जब अदालत निश्चित है कि ऐसा करने से आरोपी को अनुचित रूप से कैद या हिरासत में लेने से रोका जा सकेगा.
अंतरिम जमानत हमारे देश की न्यायपालिका का एक ऐसा नियम है, जिसे किसी विशेष धारा या अधिनियम के तहत परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन देश की अदालतों द्वारा कई मामलों में आरोपी को अंतरिम जमानत दी जाती है.
interim bail: अंतरिम जमानत कब दी जाती है
उच्च न्यायालय और सत्र न्यायालय की अग्रिम जमानत देने की क्षमता सीआरपीसी की धारा 438 के तहत आती है. जब आवेदन लंबित होता है तब अदालत अग्रिम जमानत का अंतरिम आदेश दे सकती है जैसा कि धारा 438 में वर्णित है. लोक अभियोजक (पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) और पुलिस अधीक्षक (सुपरिंटेंडेंट) से अधिसूचना (नोटिफिकेशन) और सुनवाई पर अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए. यदि आरोपी की अग्रिम जमानत या अंतरिम जमानत का अनुरोध अदालत द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है, तो पुलिस उसे बिना वारंट के हिरासत में ले सकती है.
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interim bail: अंतरिम जमानत की विशेषताएं
समय | यह थोड़े समय के लिए दी जाती है। |
आवेदन पत्र | जब अग्रिम जमानत या नियमित जमानत के लिए अदालत में एक आवेदन दायर होता है, तो उसे मंजूर कर लिया जाता है। |
गिरफ़्तार करना | जमानत अवधि समाप्त होने पर आरोपी को वारंट के बिना हिरासत में ले लिया जाएगा। |
रद्द करना | अंतरिम जमानत रद्द करने के लिए किसी विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है। |
interim bail: अंतरिम जमानत देने के सामान्य आधार
निम्नलिखित मामलों में अंतरिम जमानत की अनुमति दी जानी चाहिए:
- जब आरोपी के मुकदमे से बचने की कोई संभावना नहीं है,
- जब कोई मौका नहीं है कि प्रतिवादी सबूत के साथ छेड़छाड़ कर सकता है,
- जब सीमित पूछताछ करने का कोई न्यायोचित (जस्टिफिएबल) कारण न हो, और
- जब अग्रिम जमानत के दावे पर सुनवाई टालनी पड़े
interim bail: अंतरिम और नियमित जमानत में क्या अंतर है?
एक व्यक्ति गिरफ्तार होने के बाद नियमित जमानत का अनुरोध करता है. उसे जमानत लेनी चाहिए क्योंकि वह पहले ही पुलिस द्वारा हिरासत में लिया जा चुका है और अब भी उनकी हिरासत में है. एक अदालत अंतरिम जमानत तब जारी कर सकती है, जो अस्थायी जमानत के समान है, जब अग्रिम जमानत या नियमित जमानत के लिए आवेदन पर कार्रवाई की जा रही है.
interim bail: क्या किसी को भी मिल सकती है अंतरिम जमानत
हालांकि, एक आरोपी व्यक्ति या दोषी व्यक्ति उस समय जेल जाने से बचने के लिए अंतरिम जमानत का अनुरोध कर सकता है जब तक कि उच्च न्यायालय निचली अदालत से आवश्यक कागजी कार्रवाई प्राप्त न कर ले.
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