ISRO ने सिंगापुर के सात उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया

Sreeharikota:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सिंगापुर के सात उपग्रहों को ले जा रहे अपने भरोसेमंद पीएसएलवी रॉकेट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और इन उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया। इसरो ने बताया कि प्रक्षेपण के करीब 23 मिनट बाद प्रमुख उपग्रह रॉकेट से अलग हुआ। इसके बाद छह अन्य उपग्रह भी अलग हुए और अपनी-अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित हुए। इस महीने बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के बाद यह इसरो का एक और समर्पित मिशन है, जिसकी कमान उसकी वाणिज्यिक इकाई ‘न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड’ संभाल रही है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा, ‘‘प्रमुख उपग्रह डीएस-एसएआर और छह अन्य उपग्रहों समेत सात उपग्रहों को ले जा रहे पीएसएलवी-सी56 ने इन्हें सफलतापूर्वक निर्दिष्ट कक्षाओं में स्थापित किया।’’

शनिवार को शुरू हुई 25 घंटे की उलटी गिनती के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट को रविवार सुबह छह बजकर 30 मिनट के निर्धारित समय से एक मिनट बाद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया। इसरो के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि रॉकेट को एक मिनट बाद छह बजकर 31 मिनट पर इसलिए प्रक्षेपित किया गया, क्योंकि इसकी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष के मलबे के इसके रास्ते में आने की आशंका थी। सोमनाथ ने मिशन नियंत्रण केंद्र में कहा, ‘‘यह एनएसआईएल के लिए पीएसएलवी का अभियान है। मैं सिंगापुर के उपग्रहों के प्रक्षेपण के वास्ते हमारे पीएसएलवी पर विश्वास जताने के लिए सिंगापुर सरकार द्वारा प्रायोजित ग्राहकों को बधाई देना चाहता हूं।’’

सोमनाथ ने कहा, ‘‘मैं आज इतनी सुबह इस मिशन को देखने, हमारा समर्थन करने और हमारा आभार जताने के लिए आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि हम अगस्त या सितंबर की शुरुआत में एक और पीएसएलवी मिशन के साथ लौटेंगे।’’ उपग्रह को निर्धारित कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित करने पर इसरो ने ट्वीट किया, ‘‘पीएसएलवी-सी56/डीएस-एसएआर मिशन सफलतापूर्वक पूरा हुआ। पीएसएलवी-सी56 प्रक्षेपण यान ने सातों उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया। इस अनुबंध के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और सिंगापुर का शुक्रिया।’’

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डी. राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘पीएसएलवी परियोजना के जरिये हमें ऐसा अद्भुत मिशन देने के लिए विभिन्न केंद्रों में कार्यरत इसरो की टीम को हार्दिक बधाई। मुझे नहीं लगता कि आज के मिशन में जो सफलता मिली, ग्राहक उससे कुछ और बेहतर की उम्मीद कर सकता था।’’ राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि पीएसएलवी के इतिहास में, खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए वाणिज्यिक प्रक्षेपण के इतिहास में समर्पित प्रक्षेपण के लिए किसी एक ग्राहक (सिंगापुर सरकार) का लगातार चार बार से आना वास्तव में एक रिकॉर्ड है। यह दिखाता है कि ग्राहक हमारी टीम पर कितना भरोसा करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे जानकारी मिली है कि सिंगापुर भविष्य में कई और मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि वह हमारी सेवाओं और सबसे भरोसेमंद लॉन्च वाहन पीएसएलवी पर भरोसा करना जारी रखेगा। मुझे यकीन है कि सिंगापुर हमें कई और मौके देगा, ताकि हम उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सबसे उत्कृष्ट प्रक्षेपण सेवाएं उपलब्ध करा सकें।’’ अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि 360 किलोग्राम वजन वाले डीएस-एसएआर उपग्रह को डीएसटीए (सिंगापुर सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाला) और एसटी इंजीनियरिंग सिंगापुर के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है। इस उपग्रह का इस्तेमाल सिंगापुर सरकार की विभिन्न एजेंसियों की उपग्रह चित्रण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाएगा।

इसरो ने कहा कि उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने के लिए उसके विश्वसनीय रॉकेट पीएसएलवी ने रविवार को ‘कोर अलोन कॉन्फिगरेशन’ के 17वें प्रक्षेपण वाहन की मदद से अपनी 58वीं उड़ान भरी। अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, ‘कोर अलोन कॉन्फिगरेशन’ रॉकेट का अभिप्राय ऐसे रॉकेट से होता है, जो पहले चरण में ठोस ‘स्ट्रैप ऑन मोटर’ का इस्तेमाल नहीं करता, जैसा कि इसके अन्य संस्करण पीएसएलवी-एक्सएल, क्यूएल और डीएल करते हैं, जो क्रमश: छह, चार या दो बूस्टर का सहारा लेते हैं। डीएस-एसएआर में इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) लगाया गया है। यह उपग्रह को हर मौसम में दिन-रात तस्वीर लेने में सक्षम बनाता है। पीएसएलवी रॉकेट के जरिये डीएस-एसएआर के अलावा जिन अन्य छह उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया, उनमें वेलोक्स-एएम, एआरसीएडीई (एटमॉस्फेरिक कपलिंग और डायनेमिक्स एक्सप्लोरर), प्रायोगिक उपग्रह स्कूब-2, 3यू नैनोसैटेलाइट, गैलासिया-2 और ओआरबी-12 स्ट्राइडर शामिल हैं।

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