Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर जरूर करें कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र का पाठ, होगी हर बाधा दूर
Kalashtami 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास की कालाष्टमी 22 नवंबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूपों में से एक भगवान भैरव की पूजा की जाती है। काल भैरव के दिन काल रात्रि में पूजा करने का विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जो भक्त सामान्य चार प्रहर में भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन की हर बाधा दूर होती है।
कालाष्टमी के दिन पूजा के दौरान काल भैरव अष्टक स्तोत्र का पाठ जरूर करें। माना जाता है कि काल भैरव अष्टक स्तोत्र का पाठ करने साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Kalashtami 2024: कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र
देवराज सेव्यमान पावनांघ्रि पकंजं
व्यालयज्ञ सूत्रमिन्दु शेखरं कृपाकरम् ।
नारदादि योगिवृन्द वन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटि भास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठ मीप्सितार्थ दायकं त्रिलोचनम् ।
कालकाल मंबुजाक्ष मक्षशूल मक्षरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंक पाशदण्ड पाणिमादिकारणं
श्यामकाय मादिदेव मक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डव प्रियं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्ति मुक्ति दायकं प्रशस्तचारु विग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोक विग्रहम् ।
विनिक्वणन् मनोज्ञ हेम किंकिणी लसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतु पालकं अधर्म मार्गनाशकं
कर्मपाश मोचकं सुशर्म धायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्ण शेषपाश शोभितांग मण्डलं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्न पादुका प्रभाभिराम पादयुग्मकं
नित्य मद्वितीय मिष्ट दैवतं निरंजनम् ।
मृत्यु दर्पनाशनं करालदंष्ट्र मोक्षणं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहास भिन्न पद्मजाण्डकोश संततिं
दृष्टिपात्त नष्टपाप जालमुग्र शासनम् ।
अष्टसिद्धि दायकं कपालमालिका धरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघ नायकं विशालकीर्ति दायकं
काशिवास लोक पुण्यपाप शोधकं विभुम् ।
नीतिमार्ग कोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति ॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्ति साधनं विचित्रपुण्य वर्धनम् ।
शोक मोह दैन्यलोभ कोप ताप नाशनं
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रि सन्निधिं ध्रुवम् ॥
॥ इति श्रीमत् शंकराचार्यविरचितं
कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥
Kalashtami 2024: कौन हैं काल भैरव
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु से पूछा कि इस जगत में अविनाशी तत्व कौन है। दोनों ने स्वयं को सर्वोच्च बताया। फिर वेदों ने कहा कि अविनाशी तो केवल भगवान रुद्र (शिव) हैं। इस पर ब्रह्मा के पाँचवें मुख ने शिव के बारे में अपमानजनक शब्द कहे। इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने भैरव को उत्पन्न किया और उन्हें ब्रह्मा पर शासन करने को कहा।
भैरव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया। इससे उन्हें ब्रह्महत्या का पाप लगा। इससे मुक्ति पाने के लिए शिव ने भैरव को काशी भेजा। वहां उन्हें पाप से मुक्ति मिली और शिव ने उन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया।
Kalashtami 2024: कालाष्टमी पूजा विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके सजाएं।
- भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें। पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक करें।
- दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं। फूल, फल, मिठाई, पान और सुपारी भगवान को भोग के रूप में अर्पित करें।
- भगवान काल भैरव के सामने अपनी मनोकामना प्रकट करें। फिर आरती करके व्रत कथा का पाठ करें।
- प्रसाद वितरित करें। अगले दिन व्रत का पारण करें। जरूरतमंदों को भोजन और दान करना शुभ माना जाता है।
- काल अष्टमी के दिन मांसाहार, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन वर्जित है। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- इस दिन भगवान काल भैरव का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए, जैसे “ॐ कालभैरवाय नमः”।
Kartik Purnima 2024: क्यों करते हैं कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, क्या है धार्मिक महत्व?
- रात्रि में काल भैरव की विशेष पूजा का महत्व है। तंत्र पूजा के लिए भी यह दिन शुभ माना जाता है।
- कुछ लोग इस दिन कठोर उपवास रखते हैं। यदि संभव न हो तो केवल दूध और फलों का सेवन कर सकते हैं।
- काले कुत्तों को भोजन कराना भी इस दिन शुभ माना जाता है।