Kalki Jayanti 2024: भगवान कल्कि के अवतरण से पहले क्‍यों मनाते हैं कल्कि जयंती?

Kalki Jayanti 2024: भगवान कल्कि के अवतरण से पहले क्‍यों मनाते हैं कल्कि जयंती?

Kalki Jayanti 2024: कल्कि जयंती का पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलयुग के अंत में सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान विष्णु का 10वां अवतार कल्कि रूप में जन्‍म लेगा.

श्रीमद्भागवत पुराण के 12वें स्कंद के 24वें श्लोक के अनुसार, जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्य नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तब भगवान कल्कि का जन्म होगा. कल्कि का अवतरण सावन महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होगा. इसीलिए भगवान कल्कि के आगमन के पहले यह पर्व मनाया जाता है.

Kalki Jayanti 2024: जन्‍म के पहले क्‍यों मनाते हैं कल्कि जयंती

भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार, कल्कि अवतार को लेकर हिंदू धर्म में बहुत उत्सुकता रहती है. यह माना जाता है कि जब धरती पर अधर्म चरम सीमा पर होगा और धर्म का नाश होने लगेगा, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार में अवतरित होंगे.पुराणों के अनुसार, कलियुग के अंत में जब धरती पाप से भर जाएगी, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार में अवतरित होंगे.

वैष्‍णव ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार अन्तहीन चक्र वाले चार कालों में से अन्तिम कलियुग के अन्त में हिन्दू भगवान विष्‍णु के दसवें अवतार माने जाते हैं. जब भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे, तब सतयुग का प्रारंभ होगा.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन भगवान कल्कि का जन्म होगा. इसलिए हर साल इस दिन कल्कि जयंती मनाई जाती है और भगवान कल्कि का पूजन किया जाता है.

Kalki Jayanti 2024: कल्कि अवतार कब होगा?

पुराणों के अनुसार कलयुग में जब अधर्म चरम पर आएगा, तब भगवान विष्णु कल्कि रुप में अवतरित होंगे. भगवान पापियों का संहार करेंगे और फिर से धर्म की स्थापना करेंगे. इसके बाद कलयुग का अंत हो जाएगा और फिर से सतयुग की शुरुआत होगी.

वहीं कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म संभल गांव में होगा. उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद के पास संभल गांव है. उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा. रामजी की तरह भगवान कल्कि के भी चार भाई होंगे और सभी मिलकर धर्म की स्थापना करेंगे. भगवान कल्कि का दो विवाह होगा. उनकी पत्नियों का नाम लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी रूपी रमा होगा.

अग्नि पुराण में भगवान कल्कि अवतार के स्वरूप का चित्रण किया गया है. इसमें भगवान तीर कमान के साथ घुड़सवार करते हुए नजर आते हैं. कल्कि अवतार के बारे में कहा जाता है कि, भगवान का यह स्वरूप 64 कलाओं से परिपूर्ण होगा. भगवान सफेद रंग के घोड़े पर सवार होंगे, जिसका नाम देवदत्त होगा.

Kalki Jayanti 2024: वेद व्‍यास जी ने भी की थी भविष्‍यवाणी

महाभारत और कई धर्म ग्रंथों के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी ने हजारों वर्ष पहले भविष्यवाणी की थी कि, जैस-जैसे कलयुग का समय बीतता जाएगा, धरती पर अत्याचार और पाप भी बढ़ते जाएंगे. व्यक्ति में संस्कारों का नाश हो जाएगा, कोई गुरुओं के उपदेशों का पालन नहीं करेगा, वेदों को मानने वाला कोई नहीं होगा और अधर्म अपने चरम पर होगा.

तब भगवान कल्कि अपने गुरु भगवान परशुराम के निर्देश पर भगवान शिवजी की तपस्या करेंगे और दिव्यशक्तियों को प्राप्त करेंगे. दिव्यशक्तियों को प्राप्त करने के बाद भगवान कल्कि देवदत्त घोड़े पर सवार होकर पापियों का संहार करेंगे और पुन: धर्म का पताका लहराएंगे. इस तरह से कल्कि के जन्म के बाद कलयुग का अंत हो जाएगा और पुन: सतयुग की शुरुआत होगी.

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Kalki Jayanti 2024: कल्कि अवतार का समय

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलयुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व से हुई थी. जब भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वीलोक को त्यागा, तब कलयुग का प्रथम चरण शुरू हो चुका था. ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी पर कलयुग का इतिहास 4 लाख 32 हजार वर्षों का होगा, जिसमें अभी प्रथम चरण ही चल रहा है.  कलियुग के 5126 साल बीत चुके हैं और 426875 साल अभी बाकी हैं. यानी कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होने में अभी करीब 426875 साल बाकी हैं.

Kalki Jayanti 2024: अनुष्ठान

कल्कि जयंती के विभिन्न अनुष्ठान होते हैं, जैसे-

  • इस जयंती के त्यौहार पर लोग पूरे दिन उपवास रखते हैं।
  • भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न मंत्रों का जप करते हैं, जैसे- नारायण मंत्र, विष्‍णु सहस्रनाम और अन्य मन्त्रों का 108 बार जाप।
  • उपवास प्रारम्भ करते हुए श्रद्धालु बीज मंत्र का जाप करते हैं और उसके बाद पूजा करते हैं।
  • देवताओं की मूर्तियों को जल के साथ-साथ पंचामृत से भी धोया जाता है।
  • भगवान विष्णु के विभिन्न नामों का जप किया जाता है।
  • कल्कि जयंती के दिन ब्राह्मणों को भोजन दान करना महत्वपूर्ण है।

कल्कि पुराण में भगवान कल्कि के अवतार का विस्तार से वर्णन किया गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु का कोई भी मंत्र अगर इस दिन श्रद्धापूर्वक जाप किया जा सकता है तो इसके द्वारा भक्तों को शुभ फल प्राप्त होते हैं।

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