Maasik Karthigai Deepam 2024: कल है मासिक कार्तिगाई दीपम, क्या है महत्‍व, क्यों मनाते हैं यह पर्व?

Maasik Karthigai Deepam 2024: कल है मासिक कार्तिगाई दीपम, क्या है महत्‍व, क्यों मनाते हैं यह पर्व?

Maasik Karthigai Deepam 2024: पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कृतिका नक्षत्र के दिन मासिक कार्तिगाई का पर्व मनाया जाता है. दिन महादेव और मां पार्वती के नंदन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने का विधान है. दक्षिण भारत में मासिक कार्तिगाई के पर्व को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को लोग दीपम के नाम से भी जानते हैं. यह दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित है.

Maasik Karthigai Deepam 2024: क्‍यों मनाते हैं कार्तिगाई दीपम

कार्तिकगई दीपम का नाम नक्षत्र कार्तिकई या कृत्तिका से लिया गया है. कार्तिगाई दीपम का नाम कृतिका नक्षत्र के नाम पर रखा गया है. इसके पीछे भी एक रोचक वजह बताई जाती है. मान्यता है कि जिस दिन कृतिका नक्षत्र अति प्रबल होती है उसी दिन कार्तिगाई दीपम का त्योहार मनाया जाता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती की मृत्यु से बहुत दुखी हुए और एकांतवास के लिए गहरी समाधि में चले गए. तब पार्वती ने सती के रूप में पुनर्जन्म लिया और 6 शिशुओं को जन्म दिया, जिनकी देखभाल छह कृत्तिका नक्षत्रों ने की. दीपम के दिन, सती ने सभी छह शिशुओं को अपार शक्ति और बल के साथ एक देवता में एकीकृत कर दिया.

एक अन्य किंवदंती के अनुसार, भगवान मुरुगा ने बड़े होने पर अपने पिता भगवान शिव को परम शब्द – “ओम” का सही अर्थ बताया इसलिए, भगवान मुरुगा ने एक शिक्षण मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया और भगवान शिव को पवित्र “ओम” के वास्तविक सार से अवगत कराया.

राक्षस महिषासुर पर देवी पार्वती की जीत का जश्न भी दीपम के दिन दीप जलाकर मनाया जाता है. इसलिए, यह त्योहार आध्यात्मिक और भौतिक दोनों रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

एक अन्‍य कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रम्हा के समक्ष एक अंतहीन दीप शिखा के रूप में प्रकट हुए थे. शिव के इस अवतार की वजह दोनों देवों में श्रेष्ठतम देव का चयन करना था. भगवान ब्रम्हा और विष्णु दोनों में इस बात को लेकर मतभेद हो गया था कि उन दोनों में से कौन अधिक श्रेष्ठ है.

इस मतभेद का फैसला करने के लिए भगवान शिव ने अनंत दीप शिखा का रूप लिया और उन दोनों देवताओं से कहा, कि आपको इस दीप शिखा का आदि और अंत ढूंढना है अर्थात भगवान् शिव का सर और उनके चरण.

इस खोज में दोनों देवता निकाल गए किन्तु भगवान विष्णु जल्द ही लौट आये और उन्होंने मान लिया, कि उन्हें इसका कोई भी आदि अथवा अंत नहीं मिल सकता है. इसके बाद भगवान् ब्रम्हा आये. उन्होंने कहा, कि उन्हें भगवान शिव का सर देखने मिला है, किन्तु ये बात झूठ थी और भगवन शिव ये समझ गये.

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अंततः भगवान् शिव ने उन्हें कहा कि पृथ्वी पर भगवान ब्रम्हा का न तो कोई मंदिर बनेगा और न ही किसी तरह से इनकी पूजा होगी. इस तरह भगवान विष्णु ब्रम्हा से श्रेष्ठ साबित हुए.

Maasik Karthigai Deepam 2024: मासिक कार्तिगाई दीपम पूजा विधि

    • इस दिन सूर्योदय से पहले शुभ मुहूर्त में उठना चाहिए।
    • इसके पश्चात स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
    • शिव जी की पूजा सच्ची श्रद्धा से करनी चाहिए।
    • इसके बाद शिव जी को सफ़ेद फूल,धतूरा,फल,शहद और जल अर्पित करना चाहिए।
    • पूजा करते समय शिव कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए।
    • शिव जी की पूजा करने के बाद आशीर्वाद ले।
    • इस दिन कार्तिगाई दीपम का व्रत करना भी शुभ होता है।
    • आप इस व्रत के समय फलाहार भी ग्रहण कर सकते हैं।
    • व्रत का समापन अगले दिन करना चाहिए।

 

तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध हैं। कार्तिगाई के दिन पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखता है। इस दीप को महादीपम कहते हैं और हिन्दु श्रद्धालु यहाँ जाते हैं और भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।

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