आचार समिति के सामने पेश हुईं महुआ मोइत्रा
New Delhi: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा आज (2 नवंबर) अपने खिलाफ कैश फॉर क्वेरी के आरोपों की जांच कर रही लोकसभा आचार समिति के सामने पेश हुईं। टीएमसी सांसद ने एथिक्स कमेटी से उन्हें और विस्तार देने और 5 नवंबर को पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था। मोइत्रा, जिन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को ध्वस्त करने की कसम खाई है, ने यह भी कहा कि वह व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से पूछताछ करना चाहती हैं।
कब शुरू हुआ विवाद
विवाद 14 अक्टूबर को शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मोइत्रा के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने को कहा। गौरतलब है कि देहाद्राई को मोइत्रा का अलग साथी कहा जाता है। अपने पालतू कुत्ते की कस्टडी को लेकर उनके बीच कई महीनों से कड़वाहट भरा झगड़ा चल रहा है। मोइत्रा ने पिछले कुछ महीनों में कथित आपराधिक अतिक्रमण, चोरी, अश्लील संदेश और दुर्व्यवहार के लिए देहाद्राई के खिलाफ कई पुलिस शिकायतें दर्ज की हैं। फिर, 15 अक्टूबर को, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे – जिनके साथ मोइत्रा का पिछले कुछ वर्षों में कई बार विवाद रहा है – ने दावा किया कि देहद्राई ने “संसद में प्रश्न पूछने के लिए मोइत्रा और एक व्यवसायी के बीच रिश्वत के आदान-प्रदान के अकाट्य सबूत साझा किए”।
दुबे ने मोइत्रा पर अडानी समूह और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में संसद में सवाल पूछने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से नकद और उपहार लेने का आरोप लगाया। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र भी लिखा और कहा कि मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई जाए और उन्हें संसद से निलंबित किया जाए। दुबे ने अपने पत्र में 2005 के राजा राम पाल कैश फॉर क्वेरी घोटाले का जिक्र किया, जिसमें 11 सांसदों की सदस्यता एक जांच समिति की सिफारिशों के गठन के 23 दिनों के भीतर निलंबित कर दी गई थी। निशिकांत दुबे ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर उनसे सदन के सदस्यों के लिये बनी वेबसाइट पर तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के ‘लॉग-इन क्रेडेंशियल’ के ‘आईपी’ पते की जांच करने का आग्रह किया है।
मोइत्रा का पलटवार
महुआ मोइत्रा ने तुरंत लोकसभा अध्यक्ष को टैग करते हुए दुबे पर पलटवार किया। महुआ ने आरोपों को आधारहीन बताया है और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया है कि उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए समिति गठित करें। लोकसभा की आचार समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर हैं। उन्होंने कहा था कि फर्जी डिग्रीवाला और भाजपा के अन्य दिग्गजों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के कई मामले लंबित हैं। लोकसभाध्यक्ष द्वारा उनके निपटारे के तुरंत बाद मेरे खिलाफ किसी भी प्रस्ताव का स्वागत है। साथ ही मेरे दरवाजे पर आने से पहले अडाणी कोयला घोटाले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और अन्य द्वारा प्राथमिकी दर्ज किये जाने का इंतजार कर रही हूं।
आचार समिति के पास शिकायत
ओम बिरला ने तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा के खिलाफ सवाल पूछने के बदले ‘रिश्वत लेने’ संबंधी भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा की गई शिकायत को निचले सदन की आचार समिति के पास भेज दिया है। संसदीय समिति ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता महुआ मोइत्रा के खिलाफ शिकायत पर मौखिक साक्ष्य के लिए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को 26 अक्टूबर को बुलाया था। महुआ मोइत्रा के खिलाफ भाजपा सांसद दुबे की शिकायत पर संसदीय समिति 26 अक्टूबर को वकील जय अनंत देहाद्रई को भी सुनी।
मोइत्रा का अदालत का रूख
महुआ मोइत्रा दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची थी। याचिका 17 अक्टूबर को दायर की गयी थी। महुआ मोइत्रा के वकील ने उच्च न्यायालय में दायर उस याचिका से जुड़े मामले में शुक्रवार को अपना नाम वापस ले लिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सांसद निशिकांत दुबे, एक वकील, कई सोशल मीडिया मंचों और मीडिया संस्थानों को मोइत्रा के खिलाफ कोई भी अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने इस मामले से खुद को उस समय अलग कर लिया, जब वकील जय अनंत देहाद्रई ने अदालत को सूचित किया कि मोइत्रा के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में उनकी शिकायत वापस लेने के लिए शंकरनारायणन ने बृहस्पतिवार रात को फोन पर उनसे संपर्क किया था।
जवाब देने को तैयार
मोइत्रा ने कहा कि अगर एक नामी कारोबारी से पैसे लेने के आरोपों के संबंध में उन्हें बुलाया जाता है, तो वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और संसद की आचार समिति के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। मोइत्रा ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘‘अगर मुझे बुलाया जाता है, तो मैं सीबीआई और आचार समिति (जिसमें भाजपा सदस्यों का पूर्ण बहुमत है) को सवालों के जवाब देने को तैयार हूं। मेरे पास अडाणी द्वारा निर्देशित मीडिया सर्कस ट्रायल या भाजपा के ट्रोल्स को जवाब देने के लिए न तो समय है और न ही दिलचस्पी है।’’
तृणमूल कांग्रेस का रुख
तृणमूल कांग्रेस ने अपनी सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े विवाद से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है। मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए ‘रिश्वत’ लेने का आरोप है। तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के महासचिव एवं प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘पार्टी को इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है। हमें लगता है कि जिस व्यक्ति के इर्द-गिर्द यह विवाद केंद्रित है, वही इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए सबसे उपयुक्त है।’’ बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम ने सोमवार को दावा किया कि मोइत्रा पर लगाया गया आरोप उन्हें बदनाम करने की कोशिशहै, क्योंकि वह केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के खिलाफ काफी मुखर हैं।
पेश हुए दुबे और देहाद्रई
26 अक्टूबर को अपना बयान दर्ज कराने के लिए वकील जय अनंत देहाद्रई और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे लोकसभा की आचार समिति के समक्ष पेश हुए। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की गयी शिकायत में देहाद्रई द्वारा साझा किये गये दस्तावेजों का उल्लेख किया है।
मोइत्रा तलब
समिति की बैठक के बाद बृहस्पतिवार को इसके प्रमुख सोनकर ने यह कहा कि समिति तृणमूल सांसद के खिलाफ आरोपों की जांच में गृह और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों से सहायता मांगेगी। सोनकर ने यह भी बताया कि मोइत्रा को 31 अक्टूबर को समिति के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। भाजपा के सांसद विनोद कुमार सोनकर आचार समिति के अध्यक्षत है। महुआ ने 31 अक्टूबर को समिति के समक्ष पेश होने में असमर्थता जताई।