कश्मीर में मोदी-मोदी, क्या घाटी की खूबसूरत वादियों में बहने लगी बीजेपी की हवा
PM Modi Visit Jammu-Kashmir: आर्टिकल 370 हटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को पहली बार जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे तो वहां अलग ही नजारा देखने को मिला। श्रीनगर में पीएम मोदी की रैली को लेकर जबरदस्त भीड़ जुटी थी, मोदी-मोदी के नारे घाटी में गूंज रहे थे। प्रधानमंत्री भी मानो इस मौके को हाथ से जाने देना नहीं चाहते थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को देश का मुकुट बताते हुए प्रदेश का डेवलपमेंट प्लान सबके सामने रख दिया। उन्होंने कहा कि एक विकसित जम्मू-कश्मीर विकसित भारत की प्राथमिकता है। जम्मू-कश्मीर आज विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है क्योंकि वह खुलकर सांस ले रहा है। ये वो नया जम्मू कश्मीर है, जिसका इंतजार हम सभी को कई दशकों से था। इस नए जम्मू कश्मीर की आंखों में भविष्य की चमक है, इस नए जम्मू कश्मीर के इरादों में चुनौतियों को पार करने का हौसला है। प्रधानमंत्री ने बड़े ही सधे शब्दों में प्रदेश के डेवलपमेंट को अपनी रैली में उठाने की कोशिश की।इसी के साथ ही 6400 करोड़ रुपए की लागत से 53 परियोजनाओं का उद्घाटन किया.
अनुच्छेद 370 हटने पर क्या हुआ बदलाव
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ही अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का फैसला लिया था। यही नहीं राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का भी निर्णय किया गया था। मोदी सरकार के इस निर्णय को अब करीब 5 साल हो चले हैं। ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या इस फैसले से घाटी में कुछ बदलाव आया। जानकारों की मानें तो आर्टिकल 370 हटने के बाद प्रदेश में काफी विकास नजर आ रहा। यही नहीं घाटी में एक समय पत्थरबाजी की घटनाएं बहुत हुआ करती थीं। इस पर मानो लगाम ही लग गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2018 में 1767 संगठित पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं, वहीं 2023 से लेकर आज की तारीख तक शून्य हो गई हैं।
घुसपैठ के साथ आतंकी घटनाओं में भी आई कमी
इसके अलावा आतंकवादी घटनाएं और सीमा पार से घुसपैठ के मामले अकसर ही सामने आ जाते थे। हालांकि, अब ऐसी घटनाएं भी कम ही सुनने में आती हैं। ऐसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि अनुच्छेद 370 के बाद सूबे न केवल अलगाववाद और पत्थरबाजी का खात्मा हुआ आतंकी संगठनों के भी पैर उखड़ गए। आर्टिकल 370 हटने के बाद केंद्र सरकार ने आतंकी घटनाओं के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाई। टेरर नेटवर्क नष्ट किए, जिससे इसमें बड़ी गिरावट आई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 से 2022 के बीच आतंकी गतिविधियों में 45.2 फीसदी की कमी देखने मिली। इसके साथ ही विदेशी घुसपैठ में भी कमी आ गई। 2018 में 143 मामले सामने आए थे जो 2022 में घटकर 14 ही रह गए।
आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में डेवलपमेंट का ही जिक्र सामने आ रहा। विकास की मानो नई इबारत लिखी जा रही। चाहे श्रीनगर लाल चौक हो जिस पर कभी अलगाववादियों का कब्जा रहता था। अब वहां बिल्कुल शांति नजर आती है। पर्यटकों के घाटी में पहुंचने का आंकड़ा काफी सुधर गया है। इसके अलावा फिल्मों की शूटिंग से लेकर झीलों में पर्यटकों के घूमने-फिरने की तस्वीरें लगातार घाटी का हाल बयां करने के लिए काफी हैं। इसके लिए राज्य में कई तरह की विकास योजनाएं शुरू की गई हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को कश्मीर दौरे के दौरान राज्य को कई सौगातें दीं। यही नहीं श्रीनगर रैली में उन्होंने दो टूक कहा कि जम्मू कश्मीर केवल एक क्षेत्र नहीं है। जम्मू कश्मीर भारत का मस्तक है और ऊंचा उठा मस्तक ही विकास और सम्मान का प्रतीक होता है। इसलिए विकसित जम्मू कश्मीर, विकसित भारत की प्राथमिकता है। विकसित जम्मू-कश्मीर के निर्माण का रास्ता पर्यटन संभावनाओं और किसानों के सशक्तिकरण से निकलेगा।
क्या बीजेपी को मिलेगा चुनाव में फायदा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सधे शब्दों में विकास का ही मुद्दा श्रीनगर दौरे में उठाया। साथ ही कांग्रेस समेत विपक्षी दलों पर राज्य के विकास पर फोकस नहीं करने को लेकर आड़े हाथों भी लिया। इस दौरान पीएम मोदी ने रैली में राज्य के डेवलपमेंट का मुद्दा उठाया। लोगों में भी उनकी रैली को लेकर क्रेज दिखा। प्रधानमंत्री को सुनने काफी भीड़ जुटी थी। हालांकि, क्या बीजेपी को जम्मू-कश्मीर की आवाम का सहयोग आगामी लोकसभा चुनाव में मिलेगा? क्या आर्टिकल 370 हटने के बाद प्रदेश की जनता उनके और सपोर्ट में आएगी? ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर की 6 सीटों में 3 पर जीत दर्ज की थी। बाकी तीन सीटें नेशनल कॉन्फ्रेंस के कब्जे में गई थी। अब देखना है कि 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कितना फायदा मिलता है। क्या बीजेपी इस चुनाव में सबको चौंकाने जा रही।