Mohan Charan Majhi: ओडिशा में पहली बार BJP सरकार, मोहन चरण माझी बने सीएम, साथ में दो डिप्टी सीएम ने ली शपथ

Mohan Charan Majhi: ओडिशा में पहली बार BJP सरकार, मोहन चरण माझी बने सीएम, साथ में दो डिप्टी सीएम ने ली शपथ

Mohan Charan Majhi: ओडिशा में मोहन चरण माझी ने सीएम पद की शपथ ली है. इसके साथ ही ओडिशा को 24 साल बाद नया सीएम मिला है. उनके साथ कनक वर्धन सिंंह देव और डिप्टी सीएम प्रवति परिदा ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है. समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी समेत कैबिनेट के वरिष्ठ नेता और अन्य राज्यों के सीएम मौजूद हैं. सबसे खास ओडिशा के निचर्तमान सीएम नवीन पटनायक भी शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहे. उन्होंने भाजपा के नेताओं से मुलाकात की.

Mohan Charan Majhi: कनकवर्धन सिंह देव और प्रवति परिदा ने ली डिप्टी सीएम पद की शपथ

कनकवर्धन सिंह ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. वह 1995 से विधायक बनते आ रहे हैं. बलांगीर के राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं. गठबंधन सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं. पटनागढ़ सीट से 6 बार विधायक रहे हैं. ओडिशा बीजेपी के अध्यक्ष रहे. पत्नी बीजेपी की सांसद रह चुकी हैं.

वहीं प्रवति परीदा ने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. वह नीमपाडा सीट से पहली बार विधायक बनीं. पेशे से ओडिशा हाईकोर्ट में वकील हैं. प्रदेश बीजेपी महिला मोर्चा अध्यक्ष रही हैं.

Mohan Charan Majhi: एक मोहन मध्‍य प्रदेश में तो दूसरे ओडिशा से

पिछले साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तरह ओडिशा में भी मुख्यमंत्री पद के लिए चयन में भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने सबको चकित कर दिया है.

हालांकि मुख्यमंत्री पद के लिए कई नेताओं के साथ मोहन माझी के नाम की भी चर्चा हो रही थी, लेकिन विश्लेषकों को उम्मीद नहीं थी कि आख़िर में उन्हीं के नाम पर मुहर लगेगी.

विधानसभा चुनाव में मोहन माझी उत्तरी ओडिशा के केऊँझर (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से बीजू जनता दल (बीजेडी) की प्रत्याशी मीना माझी को 11,577 वोटों से हरा कर चौथी बार विधायक चुने गए.

इससे पहले उन्होंने इसी चुनाव क्षेत्र से 2000, 2004 और 2019 में भी चुनाव जीता था. साल 2019 से 2024 के बीच वो विधानसभा में बीजेपी विधायक दल के चीफ़ व्हिप भी रहे थे.

Mohan Charan Majhi: सरपंच से सीएम तक का सफर

मोहन माझी ने 90 के दशक में सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.

1997 में वो सरपंच बने और 2000 में भाजपा के टिकट पर केऊँझर से पहली बार विधायक बने.

2004 में वो दूसरी बार विधायक चुने गए. 2009 और 2014 में अगले दो विधानसभा चुनाव में हारने के बाद वो 2019 में तीसरी बार विधानसभा के लिए चुने गए और भाजपा विधायक दल के चीफ व्हिप बने.

इस दौरान नवीन पटनायक की बीजेडी सरकार पर निशाना साधने में वो हमेशा मुखर रहे.

चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कई नामों की चर्चा हो रही थी.

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 पर्यवेक्षकों के अनुसार, मोहन माझी के मुख्यमंत्री चुने जाने के पीछे उनके आदिवासी होने की बड़ी भूमिका रही.

ग़ौरतलब है कि ओडिशा में आदिवासियों की संख्या करीब 23 प्रतिशत है. मोहन माझी के पक्ष में एक बात यह भी थी कि वो एक ग़रीब आदिवासी परिवार से आते हैं और अपनी मेहनत और लगन से राजनीति में बढ़ते रहे हैं.

उन्हें भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता और विवादों से परे नेता के रूप में जाना जाता है.

जानकार मानते हैं कि कार्यकर्ताओं के प्रति उनका अच्छा बर्ताव और सादगी भरा जीवन उन्हें लोकप्रिय बनाता है.

 

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