Mohan Majhi: ओडिशा के नए सीएम होंगे आदिवासी चेहरा मोहन माझी, केवी सिंह देव और प्रवती परिदा होंगे डिप्टी सीएम

Mohan Majhi: ओडिशा के नए सीएम होंगे आदिवासी चेहरा मोहन माझी, केवी सिंह देव और प्रवती परिदा होंगे डिप्टी सीएम

Mohan Majhi: ओडिशा में मुख्यमंत्री पद के नाम की घोषणा हो गई है.आदिवासी बहुल इस राज्य के मुख्यमंत्री के लिए बीजेपी ने एक आदिवासी चेहरे का चयन किया है. मोहन माझी ओडिशा के अगले मुख्यमंत्री होंगे. वह ओडिशा के 15वें मुख्यमंत्री चुने गए हैं और प्रदेश में पहली बीजेपी सरकार का नेतृत्व करेंगे. वह क्योंझर से लगातार चार बार विधायक चुनते आए हैं.

52 वर्षीय मोहन माझी आदिवासी समुदाय से हैं. उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत बतौर सरपंच की थी. वह 1997 में 2000 तक अपने पंचायत के सरपंच रहे. फिर वह 2000 क्योंझर से विधायक चुने गए.

गौरतलब है कि ओडिशा में बीजेपी ने पहली बार अपने दम पर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. ओडिशा की 147 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 78 सीटों पर जीत मिली है.

Mohan Majhi: सरपंच के पद से शुरू की राजनीति

क्योंझर से चार बार के विधायक मोहन माझी लंबे समय से बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं. उन्‍हें सार्वजनिक सेवा और संगठनात्‍मक कौशल के लिए जाना जाता है. मोहन चरण माझी का जन्म 6 जनवरी 1972 को ओडिशा के क्योंझर में हुआ. मोहन माझी ने स्‍नातक तक पढ़ाई की है.उनके पिता का नाम स्व गुनाराम माझी है. उनका ताल्लुक अनुसूचित जनजाति से है और उन्होंने डॉ प्रियंका मरांडी से शादी की है. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत सरपंच (1997-2000) के तौर पर की थी.

पहली बार वे साल 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे और उन्होंने जीत हासिल की. भाजपा ने उन्हें राज्य आदिवासी मोर्चा का सचिव भी बनाया.
इसके अलावा वे राज्य एसटी मोर्चा के महासचिव और 2005 से 2009 तक उप मुख्य सचेतक भी रहे. ओडिशा में आदिवासी नेता के रूप में मोहन माझी की मजबूत पहचान रही है.

Mohan Majhi: राज्य में दो नए डिप्टी सीएम होंगे

ओडिशा के नए डिप्टी सीएम बनने वाले केवी सिंह देव का ताल्लुक क राजघराने से है. पटनागढ़ से ताल्लुक रखने वाले सिंह देव ने इस बार छठी बार चुनावी जीत हासिल की है. वे भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार के दौरान भी मंत्री रह चुके हैं. राज्य की दूसरी डिप्टी सीएम चुनी गई प्रवती परिदा ने निमापाड़ा से पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता है. वे ओडिशा में भाजपा की महिला विंग की अध्यक्ष रह चुकी हैं. उन्हें महिला चेहरे के रूप में भाजपा की ओर से ओडिशा में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है.

Mohan Majhi: बीजेपी की आदिवासी राजनीति

छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा दूसरा ऐसा राज्य है, जहां बीजेपी ने आदिवासी को मुख्यमंत्री के रूप में चुना है. दरअसल बीजेपी नजर देश के आदिवासी वोटों पर है.इसी उद्देश्य के लिए बीजेपी ने राष्ट्रपति पद के लिए ओडिशा की आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मु के नाम का चयन किया था.

वहीं आदिवासियों को संदेश देने के लिए ही बीजेपी ने ओडिशा के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में आदिवासी विष्णुदेवा साय को मुख्यमंत्री बनाया था.साय को मुख्यमंत्री बनाने में आदिवासी समाज का योगदान भी बड़ा था. बीजेपी ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 20 सीटों में से 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

Mohan Majhi: ओडिशा के लिए बीजेपी की रणनीति

छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के बाद बीजेपी हर हाल में ओडिशा में अपनी सरकार बनाना चाहती थी, जहां वह तीसरे नंबर की पार्टी थी. ओडिशा की 15 विधानसभा की सीटों पर आदिवासियों की आबादी 55 फीसदी से ज्यादा है, वहीं करीब 35 सीटों पर आदिवासी आबादी 30 फीसदी के आसपास है.बीजेपी ने इन सीटों के लिए खास रणनीति बनाई.

ओडिशा की चार करोड़ से अधिक की आबादी में आदिवासियों की जनसंख्या करीब एक करोड़ है. एक आदिवासी को राष्ट्रपति बनाने और छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री एक आदिवासी को बनाने ने बीजेपी को ओडिशा में बड़ी सफलता दिला दी.ओडिशा में आदिवासियों के लिए 24 सीटें आरक्षित हैं. इनमें से अधिकांश सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

इससे पहले बीजेपी ने आदिवासी बहुल झारखंड में गैर आदिवासी रघुवर दास को वहां का मु्ख्यमंत्री बनाया था. लेकिन बीजेपी को उनका कोई फायदा नहीं मिला था. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिली.रघुवर दास खुद चुनाव हार गए थे. बीजेपी झारखंड में आदिवासी के लिए आरक्षित 28 में से 26 सीटें हार गई थी.

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उसका यही हाल छत्तीसगढ़ में भी हुआ था. आदिवासी सीटें हारने की वजह से छत्तीसगढ़ की सरकार उसके हाथ से निकल गई थी. इससे सबक लेते हुए बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री एक आदिवासी को बनाया तो झारखंड में बीजेपी की कमान एक आदिवासी बाबूलाल मरांडी को सौंपी है. .

Mohan Majhi: विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीती हैं 78 सीटें

साल 2024 के विधानसभा चुनाव में ओडिशा में बीजेपी के पास बहुमत है. 147 विधानसभा सीटों वाले राज्य ओडिशा में बीजेपी को 78 सीटें मिली हैं. वहीं सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल को 51 सीट, कांग्रेस को 14 सीट और अन्य को 4 सीट प्राप्त हुई है. ओडिशा में बहुमत का आंकड़ा 74 है जिसे बीजेपी ने बीजू जनता दल शिकस्त देकर आसानी से हासिल कर चुकी है. राज्य में साल 2000 से अबतक बीजेडी का कब्जा रहा लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल सिर्फ 51 सीटों पर ही सिमट कर रह गई.

Mohan Majhi: 24 साल बाद नवीन राज का अंत

नवीन पटनायक अगर इस बार चुनाव जीतते तो सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का इतिहास रच देते. मगर बीजू जनता दल की करारी हार के बाद नवीन पटनायक को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा. नवीन पटनायक ने वर्ष 2000 में राज्य की कमान संभाली थी और उसके बाद वे लगातार राज्य के मुख्यमंत्री बने रहे हैं.

इस बार भी राज्य में हो रहे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नवीन पटनायक की अगुवाई में बीजू जनता दल ने पूरी ताकत लगाई थी. इस बार भी उन्हें सत्ता का मजबूत दावेदार माना जा रहा था मगर भाजपा ने उनके सपनो को चूर-चूर कर दिया.

 

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