Narak Chaturdashi 2024: क्या है छोटी दीपावली का महत्व, क्यों कहते हैं इसे नरक चतुर्दशी?
Narak Chaturdashi 2024: दीपों का त्योहार दीपावली का पर्व जनमानस में बहुत धुमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण त्रयोदशी से शुरू हुआ यह त्योहार भाई दूज के पावन पर्व के बाद समाप्त होता है। छोटी दीपावली, बड़ी दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाई जाती है, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
छोटी दिवाली की रात एक दिया, मृत्यु के देवता, यमराज को प्रसन्न करने के लिए जलाया जाता है। आखिर इस दिन क्यों जलाते हैं यम का दीपक और इसका क्या है विधान, आइए जानते हैं
Narak Chaturdashi 2024: कब है नरक चतुर्दशी
30 अक्टूबर 2024 को छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से नरक चतुर्दशी की शुरुआत लग जाएगी। अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर में 03 बजकर 53 मिनट पर इसका समापन होगा। चूंकि, यह त्योहार संध्या बेला में मनाया जाता है। इसलिए 30 अक्टूबर को यम का दीपक जलाना शुभ रहेगा। नरक चतुर्दशी को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में यम का दीपक जलाना चाहिए।
Narak Chaturdashi 2024: क्यों कहते हैं नरक चतुर्दशी
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने छोटी दिवाली के दिन नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।
प्रागज्योतिषपुर नगर का राजा नरकासुर नामक दैत्य था। उसने अपनी शक्ति से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया। वह संतों को भी त्रास देने लगा। महिलाओं पर अत्याचार करने लगा। उसने संतों आदि की 16 हजार स्त्रीयों को भी बंदी बना लिया। जब उसका अत्याचार बहुत बढ़ गया तो देवता व ऋषिमुनि भगवान श्रीकृष्ण की शरण में गए।
भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें नराकासुर से मुक्ति दिलाने का आश्वसान दिया। लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया तथा उन्हीं की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया।
इस प्रकार श्रीकृष्ण ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। इस दिन बुराई के अंधेरे को दूर करने और सकारात्मकता का स्वागत करने के लिए दीपक जलाए जाते हैं। तभी से नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाने लगा।
Narak Chaturdashi 2024: कैसे जलाएं यम का दीपक
मान्यता है कि, यम का दीपक नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाने से परिवार में अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। साथ ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए यमदेव से प्रार्थना की जाती है।
धनतेरस के दिन यानी छोटी दिवाली की रात यमराज के नाम पर दीया जलाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार एक राज्य में हेम नाम का राजा था जिसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई।
राजा ने जब अपने बेटे की कुंडली पंडितों को दिखाई तो उन्हें पता चला कि विवाह के चार महीने बाद ही बेटे की मृत्यु हो जाएगी। ऐसे में राजा को चिंता हुई और उन्होंने राजकुमार को ऐसी जगह भेज दिया जहां किसी लड़की की परछाई भी उस पर न पड़े।
विवाह के चार दिन बाद यमराज के दूत राजकुमार के पास आए. यमराज को देखकर राजकुमार की पत्नी खूब रोई। जिसके बाद यमराज के दूतों में से एक ने कहा कि हे यमराज ऐसा कोई उपाय नहीं है जिससे व्यक्ति अकाल मृत्यु से बच सके।
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तब यमराज ने कहा कि जो भी व्यक्ति कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शाम के समय मेरे निमित्त दक्षिण दिशा में दीपक जलाएगा वह अकाल मृत्यु से बच जाएगा। कहा जाता है कि इसी वजह से हर साल धनतेरस की रात को यमराज के नाम पर एक दीपक जलाया जाता है।
Narak Chaturdashi 2024: कैसा होना चाहिए यम का दीपक
यम का दीपक जलाने के लिए एक चौमुखी दीपक या कोई सामान्य दीपक लें सकते हैं। इसके बाद दीपक में सरसों का तेल भर लें. फिर इस दीपक को जलाने के बाद पूरे घर में घुमा दें और घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में रख दें। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, आप किसी नाली के पास या कहीं और भी रख सकते हैं।