Nazul land law: यूपी के माननीय क्यों नहीं चाहते हैं अंग्रेजों के बनाये नजूल भूमि कानून में बदलाव
- अजय कुमार
Nazul land law: इस समय यूपी की राजनीति में नजूल भूमि कानून को लेकर सत्ता पक्ष में ही दो फाड़ हो गया है। जब अपने ही राह में रोड़ा अटकाने लगें तो राह मुश्किल हो जाती है। देश का कोई भी हिस्सा या राज्य हो वहां पड़ी नजूल की जमीन की स्थिति ठीक वैसी ही होती है जैसे किसी एक बच्चे के कई बाप का होना।
नजूल की जमीन(सरल शब्दों में सरकारी जमीन) को सब अपनी बपौती समझते हैं। गरीब जनता की तो इतनी हिम्मत नहीं होती है कि वह सरकारी जमीन पर कब्जा कर सके,लेकिन ताकतवर लोगों जिसमें नेताओं से लेकर बड़े-बड़े अधिकारी और बिल्डर आदि शामिल होते हैं, के लिये यह जमीन सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित होती है।
Nazul land law: नजूल की जमीन पर कब्जा आसान
नजूल की जमीन पर कब्जा करने का सबसे आसान तरीका है उसे लीज पर हासिल कर लेना ,क्योंकि जमीन का कोई मालिक नहीं होता है इसलिये सरकारी कुर्सी पर बैठे अधिकारी और बाबू ही इसके ‘मालिक’ बन जाते हैं। वह सेटिंग के सहारे नजूल की जमीन का ‘सौदा’ कर देते हैं।
इसीलिये जब नजूल भूमि कानून विधान सभा से पास होने के बाद मंजूरी के लिये विधान परिषद पहुंचा तो वहां करीब-करीब सभी दलों के माननीयों ने एकजुट होकर इसे ‘ठंडे बस्ते’ में डाल दिया।
यानी माननीय नहीं चाहते हैं कि नजूल जमीन के लिये कोई ऐसा नया कानून बनें जिसके चलते नजूल की जमीन को कौड़ियों के भाव फ्री होल्ड कराने का खेल बंद हो जाये।इस कानून को लेकर सत्ता पक्ष में मनमुटाव की खबरें आने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तो योगी सरकार को चुनौती तक दे दी वह नजूल जमीन पर नया कानून बना ही नहीं सकते हैं। वैसे विरोध समाजवादी पार्टी की तरफ से भी कम नहीं हुआ था।
Nazul land law: विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के कुछ नेताओं का विरोध
दरअसल, 31 जुलाई को यूपी विधानसभा में भारी हंगामे के बीच उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक, 2024 पारित किया गया था। इसके बाद जब पहली अगस्त को यह विधेयक विधान परिषद में आया तो इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया। सबसे खास बात यह रही कि इस विधेयक का समाजवादी पार्टी के नेताओं के अलावा भाजपा के कई नेताओं ने विरोध किया है। वहीं एनडीए में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी ने इससे असहमति जताई है।
विधेयक के अनुसार, कानून लागू होने के बाद किसी भी नजूल भूमि को किसी निजी व्यक्ति या निजी संस्था के पक्ष में पूरा मालिकाना हक हस्तांतरित करने पर रोक लग जाती। इसके बजाय, नजूल भूमि का इस्तेमाल सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया जाता।
विधेयक में प्रस्ताव किया गया था कि नजूल भूमि को निजी व्यक्तियों या संस्थाओं को हस्तांतरित करने के लिए कोई भी अदालती कार्यवाही या आवेदन रद्द कर दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये भूमि सरकारी नियंत्रण में रहे।कुल मिलाकर विधेयक का उद्देश्य नजूल भूमि प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना और अनधिकृत निजीकरण को रोकना बताया गया है।
Nazul land law: यूपी में लंबे समय से चल रहा खेल
बता दें उत्तर प्रदेश में लम्बे समय से नजूल की बेशकीमती जमीनों को कौड़ियों के भाव फ्री होल्ड कराने का खेल चल रहा है। लगभग दो लाख करोड़ रुपये की इन सरकारी जमीनों को सर्किल रेट का केवल 10 फीसदी देकर फ्री होल्ड कराने की जद्दोजहद की जा रही है। इन जमीनों को निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए लाया गया योगी सरकार का उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति-2024 विधेयक विधान परिषद में अटक गया,तो इससे कई ताकतवर लोगों ने राहत की सांस ली।
Nazul land law: 25 हजार हेक्टेयर जमीन नजूल की
गौरतलब हो उत्तर प्रदेश में लगभग 25 हजार हेक्टेयर जमीन नजूल की है,जिसमें से कम से कम चार हजार एकड़ जमीन फ्री होल्ड कराई जा चुकी है और अब नजूल जमीनों के मालिकाना हक को लेकर 312 केस हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं। करीब 2500 केस पाइप लाइन में हैं।
इनसे जुड़ी जमीनों की कीमत लगभग दो लाख करोड़ रुपये है। ये जमीनें सबसे ज्यादा प्रयागराज, कानपुर, अयोध्या, सुल्तानपुर, गोंडा, बाराबंकी आदि में हैं। नजूल की जमीनों को फ्री होल्ड कराने का केंद्र प्रयागराज है। यहां लगभग पूरा सिविल लाइंस नजूल की जमीन पर है। एक-एक बंगला 100 से 250 करोड़ रुपये का है। इसी के चलते प्रयागराज निवासी और डिप्टी सीएम चाहते थे कि यह कानून पास हो जाये,लेकिन उन्हीं की पार्टी वालों ने इसका पलीता लगा दिया।
Nazul land law: ऐसे चलता है जमीन का खेल
नजूल की जमीन के लिये कैसे खेल होता है,उसकी पूरी बानगी समझने के लिये बता दें कि किसी नजूल जमीन की कीमत सर्किल रेट के हिसाब से 50 करोड़ रुपये है तो इस जमीन का बाजार भाव 100 करोड़ होगा। लेकिन मौजूदा नजूल जमीन कानून के तहत इसे सर्किल रेट का केवल 10 फीसदी देकर फ्री होल्ड कराया जा रहा है।
यानि वह व्यक्ति केवल पांच करोड़ रुपये में 100 करोड़ रुपये की जमीन का मालिक बन जाता है। जबकि खास बात यह है कि नजूल एक्ट में फ्री होल्ड का प्रावधान ही नहीं है, लेकिन अब तक कम से कम 25 फीसदी नजूल की जमीन को इस तरीके से फ्री होल्ड कराया जा चुका है।
Nazul land law: क्या है नजूल की जमीन?
नजूल की जमीन है क्या, यह इस तरह से समझा जा सकता है आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और लगान चुका पाने में विफल लोगों की जमीनों को छीन लिया था। इसके बाद 1895 में गवर्नमेंट ग्रांड एक्ट के तहत ये जमीनें मामूली किराये पर अंग्रेजों ने लीज पर दे दीं। इनकी लीज अवधि 90 वर्ष तक थी। लीज पर दी गई इन जमीनों पर सरकार का मालिकाना हक कभी खत्म नहीं होता था।
ऐसी जमीनों को फ्री होल्ड से रोकने के लिए प्रदेश सरकार नजूल एक्ट लाई है। सरकार इस एक्ट के जरिए नजूल की जमीन को कौड़ियों के भाव फ्री होल्ड कराने के खेल पर रोक लगाना चाहती है।
प्रस्तावित एक्ट के मुताबिक नजूल की जमीनों पर जो लोग रह रहे हैं, उन्हें नहीं छेड़ा जाना था तो वहीं गरीब और कमजोर लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की भी बात कही गई थी। यानी उन्हें हटाया भी नहीं जाएगा। केवल बची जगह पर पार्किंग, पार्क, सरकारी संस्थान, सरकारी शिक्षण संस्थान, पीएम आवास योजना या अन्य सार्वजनिक उपयोग में लाने का प्रावधान किया गया था। वहीं नजूल जमीन पर बसे बाजारों को बेहतर बनाने का प्रावधान था।
Nazul land law: पहली बार लाया गया नजूल जमीन बिल
नजूल एक्ट को देश के शीर्ष कानूनी विशेषज्ञों की राय से तैयार किया गया है। खैर, यह समझ लेना भी जरूरी है कि नजूल की जमीन को लेकर स्वतंत्र भारत के आज तक कोई नजूल एक्ट वजूद में ही नहीं था। मानसून सत्र में पहली बार यूपी में नजूल की जमीनों को लेकर विधेयक लाया गया।
1895 में ब्रिटिश सरकार गवर्नमेंट ग्रांड एक्ट लाई थी, जिसके तहत जमीन लीज पर देने का प्रावधान किया गया था। उस समय शहरों की तुलना में कृषि जमीनों की कीमत ज्यादा थी, इसलिए शहरी जमीनों के बड़े-बड़े टुकड़े अंग्रेजों ने लीज के रूप में दे दिए थे।
आज हालात बदल गए हैं। वर्ष 2020 में इसी एक्ट को दोबारा पास कर दिया गया था। गवर्नमेंट ग्रांड एक्ट में ऑटोमेटिक रिन्यूअल का प्रावधान है, लेकिन उसमें रहने वाला जमीन का मालिक नहीं हो सकता। वह किसी तीसरे पक्ष को जमीन नहीं दे सकता। वह किसी तीसरे पक्ष के लिए जमीन दी गई है, उसके अलावा अन्य किसी उपयोग में लाने पर लीज को निरस्त किया जा सकता है।
Nazul Zameen Bill: क्या है नज़ूल ज़मीन और उससे जुड़ा बिल? जिस पर विपक्ष के साथ अपने और सहयोगी दल भी कर रहे विरोध
Nazul land law: क्या प्रावधान हैं बिल में?
नया नजूल भूमि एक्ट यह अमली जामा पहन लेता है तो इसके बाद उत्तर प्रदेश में किसी भी नजूल भूमि को किसी प्राइवेट व्यक्ति या प्राइवेट एंटिटी (संस्था या अन्य) के पक्ष में फ्रीहोल्ड (स्वामित्व) नहीं किया जा सकेगा। खाली पड़ी नजूल भूमि जिसकी लीज अवधि समाप्त हो रही है, उसे फ्रीहोल्ड न करके सार्वजनिक हित की परियोजनाओं जैसे अस्पताल, विद्यालय, सरकारी कार्यालय आदि का उपयोग के लिए किया जाएगा।
नजूल भूमि विधेयक के अनुसार, ऐसे पट्टाधारक जिन्होंने 27, जुलाई 2020 तक फ्री होल्ड कि लिए आवेदन कर दिया है और निर्धारित शुल्क जमा कर दिया है, उनके पास विकल्प होगा कि वह लीज अवधि समाप्त होने के बाद अलगे 30 वर्ष की अवधि के लिए नवीनीकरण करा सकें। बशर्ते, उनकी ओर से मूल लीज डीड का उल्लंघन न किया गया