अब शेयर बायबैक की आएगी नई व्यवस्था, सेबी का फैसला

शेयर बाजार से जुड़े नियमों का लेखा-जोखा रखने वाले भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अब कुछ नियमों को बदलने का बीड़ा उठाया है. ये नियम मुख्य तौर पर कंपनियों द्वारा शेयरों की पुनर्खरीद (Share Buyback Rules) से जुड़े हैं. मौजूदा व्यवस्था में पक्षपात की आशंका (Suspicion of Misuse) को देखते हुए ये फैसला किया गया है.

केकी मिस्त्री (Keki Mistry) की रिपोर्ट में बताई गई सिफारिशों पर अमल करते हुए सेबी के बोर्ड ने ये फैसला किया है. मौजूदा समय में कंपनियां ओपन मार्केट से कंपनी के शेयरों को वापस खरीदती हैं, सेबी अब इस व्यवस्था को बदल देगी.

बाजार में निवेशकों को एक समान अवसर देने और मौजूदा तरीके में पक्षपात की आशंका को देखते हुए सेबी ने शेयर बायबैक की प्रणाली बदलने का फैसला किया है. इसके तहत अब कंपनियां निविदा प्रस्ताव लाकर (Tender Offer Route) यानी बोलियां मंगाकर शेयरों की पुनर्खरीद कर सकेंगी. यानी सेबी धीरे-धीरे ओपन मार्केट से होने वाली शेयर बायबैक (Share Buyback) व्यवस्था को खारिज कर देगा.

मंगलवार को सेबी के बोर्ड की बैठक हुई. सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने बैठक में हुए इस निर्णय की जानकारी दी, साथ ही अन्य मुद्दों पर बनी सहमति को लेकर भी बातचीत की.

शेयर बाजार को नई ऊंचाई पर ले जाने में FII का बड़ा रोल रहा है. ऐसे में उनको सुविधा देते हुए सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के रजिस्ट्रेशन में लगने वाले समय को घटाने और मार्केट में लगातार वित्त की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ग्रीनवॉशिंग पर अंकुश के मानकों में संशोधन का फैसला भी किया है.

सुधरेगा शेयर बाजारों का कामकाज

इतना ही नहीं सेबी ने शेयर मार्केट में कामकाज के तरीके को सुधारने के लिए कुछ मूलभूत बदलाव करने का फैसला भी किया है. इनमें सबसे बड़ा फैसल स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) के काम को तीन हिस्सों में बांटना है. इसके अलावा आम निवेशकों के हित की पैरवी करने वाले डायरेक्टर्स की नियुक्ति को तर्कसंगत बनाना भी इसमें शामिल है.

अब सेबी रेग्युलेटरी बदलाव से बाजार के इंफ्रास्ट्रक्चरल इंस्टीट्यूट्स (MII) के कामकाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाएगा. इन बदलावों को स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरेंस एजेंसियों और डिपॉजिटरी जैसे संस्थानों के कामकाज की व्यापक समीक्षा के बाद अंतिम रूप दिया गया है. ये बदलाव आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित होने की तारीख से 180 दिनों के बाद प्रभावी होंगे.

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