NSA Ajit Doval: क्या होता है एनएसए, कैसे करता है काम, जिसके लिए तीसरी बार चुने गए अजित डोभाल

NSA Ajit Doval: क्या होता है एनएसए, कैसे करता है काम, जिसके लिए तीसरी बार चुने गए अजित डोभाल

NSA Ajit Doval: मोदी 3.0  सरकार में एक बार फिर अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) यानी NSA नियुक्त किया गया है. पीएम मोदी ने तीसरी बार डोभाल को NSA बनाया है.

मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को पहली बार मई 2014 में देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था. इसके बाद साल 2019 में डोभाल को एक बार फिर से पांच पांच साल के लिए इस पद पर नियुक्ति दी गई थी. अब फिर उन्हें इस पद की जिम्मेदारी दी गई है. आइए इस पद की अहमियत के बारे में जानते हैं.

NSA Ajit Doval: क्या होता है एनएसए

हमारे देश में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद की स्थापना साल 1998 में की गई थी. इस पद पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के वरिष्ठ अधिकारी आसिन होते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी)की ओर से की जाती है.

प्रधानमंत्री इस समिति की अध्यक्षता करते हैं. NSA राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और रणनीतिक मामलों पर पीएम के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं. ये प्रधानमंत्री के विवेक पर पर काम करते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं, जिनका मुख्य काम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना होता है.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सभी खुफिया रिपोर्ट प्राप्त करते हैं और उन्हें पीएम के समक्ष प्रस्तुत करते हैं.

NSA को देश के आंतरिक और बाहरी खतरों और अवसरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से पीएम को सलाह देने का काम सौंपा गया है.  NSA के कार्य पोर्टफोलियो में पीएम की ओर से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की देखरेख करना शामिल है.
हमारे देश के एनएसए चीन के साथ प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार और सुरक्षा मामलों पर पाकिस्तान और इजराइल के दूत के रूप में भी कार्य करते हैं.  भारत सरकार ने 2019 में अजित डोभाल को एनएसए बनाने के साथ ही कैबिनेट रैंक दिया था.

NSA Ajit Doval: ब्रजेश मिश्रा बने थे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ब्रजेश मिश्रा पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए गए थे. ब्रजेश मिश्रा 22 मई 2004 तक एनएसए पद पर रहे. मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में आईएफएस अधिकारी जेएन दीक्षित एनएसए बने थे.

3 जनवरी 2005 से 23 जनवरी 2010 तक आईपीएस अधिकारी एमके नारायणन एनएसए पद पर रहे. इसके बाद आईएफएस शिवशंकर मेनन 24 जनवरी 2010 से 28 मई 2014 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे. मोदी के साल 2014 में पीएम बनने के बाद अजित डोभाल को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई.

NSA Ajit Doval: भारत के ‘जेम्स बॉन्ड’ हैं अजीत डोभाल

अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी. डोभाल के पिता मेजर जीएन डोभाल भारतीय सेना में अधिकारी थे. इसलिए इनकी परवरिश  सेना केअनुशासन में हुई.

स्कूल पूरा करने के बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए.कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए.

आईपीएस अधिकारी रहे डोभाल 1972 में खुफिया एजेंसी RAW से जुड़ गए.सर्जिकल स्‍ट्राइक के मास्‍टर माइंड माने जाने वाले अजीत डोभाल को इंडियन जेम्स बॉन्ड के नाम से भी जाना जाता है.

NSA Ajit Doval: इन कारनामों को दिया अंजाम

अजीत डोभाल ने पाकिस्तान में 7 साल तक अंडर कवर एजेंट के रूप में भी काम किया. 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण हुआ था. इसे बाद में कंधार ले जाया गया था. उस समय अजित डोभाल ने तालिबान के साथ बातचीत में काफी अहम भूमिका अदा की थी.

साल 2005 में एक तेज तर्रार खुफिया ऑफिसर के रूप में स्थापित अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर पद से रिटायर हो गए. इसके बाद साल 2009 में अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट बने. इस दौरान न्यूज पेपर में लेख भी लिखते रहे.

2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार सरकार बनाई तब डोभाल दुबारा लाइम लाइट में आए और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में उनसे जुड़े. उरी की सर्जिकल स्ट्राइक, पुलवामा हमले के बाद बालाकोट और साइबर टेरर जैसे मामलों में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.

उन्होंने 2014 से 2019 तक कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन किए. उनका सबसे पहला अहम ऑपरेशन वह था जिसमें इराक में फंसीं नर्सों को वापस लाया गया था. उन्होंने इंडिपेंडेंट फॉरेन पॉलिसी को लेकर भारत सरकार को एक रास्ता दिखाया. भारत की एक देश के रूप में मजबूत छवि बनाने में उन्होंने काफी मदद की थी. अमेरिका और रूस के साथ संतुलन बनाकर चलने की पॉलिसी में भी दिशा-निर्देश अजीत डोभाल ने ही दिए थे.

NSA Ajit Doval: पीएम मोदी ने क्यों जताया फिर भरोसा

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहते हुए अजीत डोभाल ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. चाहे 370 हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो, डोकलाम हो या कूटनीतिक फैसले, डोभाल देश की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. पुलवामा का बदला, जिसे पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाएगा, वह भी डोभाल के नेतृत्व में लिया गया. पुलवामा हमले के एक पखवाड़े के भीतर पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को खत्म करने की वायुसेना की रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में ही तैयार हुई थी.

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अजीत डोभाल ने इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित की थी. वे एक शीर्ष गुप्त मिशन पर 25 जून 2014 को इराक गए, जमीनी स्थिति को समझ सकें. 5 जुलाई 2014 को नर्सों को भारत वापस लाया गया. इसके अलावा अजीत डोभाल ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए.

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