नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस पर सुभाष चंद्र बोस को दी श्रद्धांजलि
New Delhi: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 127वीं जयंती है। देश इसे पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। दिल्ली के संविधान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेताजी को श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बोस को याद करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- आज नेताजी की जयंती पर हम उनके जीवन और साहस को याद करते हुए उनका सम्मान कर रहे हैं। हमारे देश की आजादी के प्रति उनका अटूट समर्पण प्रेरणा हमें देता है।
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी X पर बोस को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा- पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जा रही नेताजी की जयंती पर मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। नेताजी ने भारत की स्वतंत्रता के लक्ष्य के लिए असाधारण प्रतिबद्धता प्रदर्शित की थी। उनके अद्वितीय साहस और करिश्माई व्यक्तित्व ने भारतवासियों को औपनिवेशिक शासन के खिलाफ निडरता से लड़ने के लिए प्रेरित किया। उनके ओजस्वी व्यक्तित्व का हमारे स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव पड़ा। हमारे देशवासी नेताजी को कृतज्ञतापूर्वक सदैव याद रखेंगे।
2021 से पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जा रही नेताजी की जयंती
सुभाष चंद्र बोस साहस, नेतृत्व कौशल और असाधारण वक्ता थे। वे खुद तो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे ही साथ ही अन्य कई लोगों को भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होने और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया था। ऐसे में 2021 में सरकार ने उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।
नेताजी का निधन हुए 76 साल हो चुके हैं, लेकिन, उनकी मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। उनकी मौत का सच जानने के लिए तीन कमेटियां बनीं। दो ने कहा उनकी मौत प्लेन क्रैश में हुई। तीसरी रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा कोई प्लेन क्रैश ही नहीं हुआ तो हादसे में जान जाने की बात कैसे सही मानी जाए। उनके निधन के सालों बाद तक देश के अलग-अलग हिस्सों में नेताजी को देखे जाने के दावे किए जाते रहे।
बात 18 अगस्त 1945 की है। जापान दूसरा विश्व युद्ध हार चुका था। अंग्रेज नेताजी के पीछे पड़े हुए थे। इसे देखते हुए उन्होंने रूस से मदद मांगने का मन बनाया। 18 अगस्त 1945 को उन्होंने मंचूरिया की तरफ उड़ान भरी। इसके बाद किसी को फिर वो दिखाई नहीं दिए।