PM मोदी की उच्च स्तरीय बैठक के लिए फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भेजा गया न्योता
श्रीनगर. केंद्रीय गृह सचिव ने शनिवार को फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) समेत जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के 14 नेताओं से 24 जून को प्रधानमंत्री आवास पर बैठक में शामिल होने के लिए संपर्क किया है. 18 जून को एक अधिकारी ने जानकारी दी थी कि जम्मू कश्मीर के राजनेताओं को 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से मुलाकात के लिए फोन पर निमंत्रण मिला है. बैठक के लिए जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष से भी केंद्रीय गृह सचिव ने संपर्क किया है. कांग्रेस आलाकमान से चर्चा के बाद पार्टी बैठक में शामिल होने का फैसला करेगी.
ऐसा समझा जा रहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने सहित राजनीतिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की केंद्र की पहल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को वहां के सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं. यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भाग लेने की संभावना है.
अब्दुल्ला और महबूबा रह चुके हैं J&K के मुख्यमंत्री
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन समेत 14 नेताओं को को चर्चा के लिए आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. महबूबा ने शुक्रवार रात पीटीआई-भाषा को बताया कि उन्हें केंद्र से 24 जून को बैठक के लिए फोन आया था. उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी फैसला नहीं किया है. मैं अपनी पार्टी के सदस्यों से चर्चा करके अंतिम फैसला लूंगी.’ वहीं, फारूक अब्दुल्ला ने भी शनिवार को कहा कि उन्हें केंद्र सरकार की ओर से बैठक में शामिल होने का न्योता मिला है. अब्दुल्ला और महबूबा दोनों तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं.
माकपा नेता ने किया बातचीत का स्वागत
केंद्र के साथ बातचीत की संभावना के बारे में पूछे जाने पर, माकपा नेता और पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के प्रवक्ता एम वाई तारिगामी ने कहा कि नई दिल्ली से कोई संदेश नहीं आया है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो इसका स्वागत किया जाएगा. तारिगामी ने श्रीनगर से पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हमने केंद्र के साथ सार्थक जुड़़ाव के लिए अपने दरवाजे कभी बंद नहीं किए हैं. हालांकि मुझे किसी बातचीत के बारे में कोई जानकारी नहीं है, अगर ऐसा होता है, तो इसका स्वागत किया जाएगा.’ पीएजीडी जम्मू कश्मीर में कुछ पार्टियों का गठबंधन है, जिसमें नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी शामिल हैं, जो केंद्र के अगस्त 2019 के फैसलों के बाद बनाया गया था.
जेकेएपी के अध्यक्ष बुखारी बोले, देर आये दुरुस्त आये
जेकेएपी के अध्यक्ष बुखारी ने कहा, ‘मैं स्वागत करता हूं, यदि और कभी, बातचीत होती है. यह मार्च 2020 की हमारी स्थिति की पुष्टि करता है जब हमने यह स्पष्ट कर दिया था कि जम्मू कश्मीर के लिए लोकतंत्र और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए संवाद ही एकमात्र तंत्र है.’ उन्होंने कहा, ‘देर आये दुरुस्त आये क्योंकि हमारी सभी समस्याओं का समाधान नयी दिल्ली के पास है और कहीं नहीं है.’
पेश हो सकती है परिसीमन आयोग की रिपोर्ट
भाजपा और कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाइयों के भी इन चर्चाओं का हिस्सा होने की संभावना है, जिन्हें केंद्र शासित प्रदेश में सामान्य राजनीतिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर की सभी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ इस माह की समाप्ति से पहले बातचीत करने की संभावना है. अधिकारियों ने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आर देसाई के नेतृत्व में परिसीमन आयोग, जिसे संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के तुरंत बाद गठित किया गया था, के अपने काम में तेजी लाने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है. आयोग का गठन फरवरी 2020 में किया गया था और इसे इस साल मार्च में एक साल का विस्तार दिया गया है.