Prostration significance : अयोध्या में PM मोदी (LokSabha Chunav 2024) ने किए रामलला के दर्शन, किया साष्टांग प्रणाम, क्या है इसका महत्व
Prostration significance : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम लोकसभा चुनाव (2024) के लिए अयोध्या पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी की राम मंदिर बनने और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद ये उनका दूसरा दौरा था. अयोध्या पहुंचने पर सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला के दर्शन किए और फिर सांष्टांग प्रणाम किया.
इससे पहले कई ऐसे मौके आए, जिनमें प्रधानमंत्री मोदी को इस मुद्रा में हम सबने देखा है. पहली बार जब वे प्रधानमंत्री बनने के बाद संसद की कार्यवाही में सम्मिलित होने पहली बार संसद भवन पहुंचे, तब उन्होंने संसद भवन की सीढ़ियों को दंडवत प्रणाम किया था.
उसके बाद राम मंदिर भूमि पूजन के दौरान राम लला के मंदिर में उनके दर्शन करने जाते समय मंदिर की सीढ़ियों को पूरी तरह जमीन पर लेटकर साष्टांग प्रणाम किया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान ‘सेनगोल’ के सामने ‘साष्टांग प्रणाम’ किया.
क्या आप जानते हैं कि मंदिरों में साष्टांग प्रणाम क्यों किया जाता है? दरअसल ये एक प्रकार की योग मुद्रा है जिसका एक बड़ा अर्थ है. आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से.
Prostration significance : भाव की प्रधानता सर्वोपरि
सनातन धर्म में जब भी किसी के सामने दंडवत प्रणाम किया जाता है तो इसका अर्थ होता है कि आपने अपना सर्वस्व उसे अर्पित कर दिया है. आप जो भी कार्य करेंगे, उसी की आज्ञा के अनुसार करेंगे…आमतौर पर इस साष्टांग की मुद्रा में प्रणाम किसी मंदिर और तीर्थस्थल पर किया जाता है. अपने गुरुजनों के चरणों में भी इस प्रकार लेटकर साष्टांग करने की हमारी परंपरा रही है.http://साष्टांग प्रणाम का महत्व
Prostration significance : खास है योग की ये मुद्रा
दरअसल, साष्टांग प्रणाम योग की एक मुद्रा है, जिसमें पूरे शरीर को इस्तेमाल करके शरीर को एक सीध में खींचना होता है. इसे करते समय ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है और पूरे शरीर में खून का संचार होता है. इससे बुद्धि तेज होती है और दिमाग तेज गति से काम करता है.
इसके अलावा ये जोड़ों के दर्द को कम करता है और हड्डियों को मजबूती देता है. साथ ही रेगुलर इसे करना आपके शरीर की तमाम मांसपेशियों और नसों के लिए भी फायदेमंद है.
Prostration significance : साष्टांग प्रणाम का महत्व
साष्टांग या दण्डवत प्रणाम हिन्दू धर्म में सबसे सर्वश्रेष्ठ नमस्कार माना जाता है. यह सूर्य देव को प्रणाम करने का एक चरण भी है जिसमें व्यक्ति अपने शरीर के अष्ट अंगों के द्वारा धरती को स्पर्श करता है.
अष्ट अंगों में दोनों पांव, दोनों घुटने, छाती, ठुण्डी और दोनों हथेलियां शामिल हैं.
साष्टांग प्रणाम करने की यह प्रथा कई सदियों से चली आ रही है. सनातन धर्म के अनुसार साष्टांग पंचोपचार, दशोपचार, षोडशोपचार पूजन के बाद किया जाता है. इन सभी प्रकारों में सर्वश्रेष्ठ प्रकार षोडषोपचार पूजा विधि को माना गया है.
आपको बता दें कि षोडषोपचार पूजा में सोलह उपचारों से भगवान की पूजा करने की बात कही गई है और इन सोलह उपचारों में अंतिम उपचार साष्टांग दंडवत प्रणाम बताया गया है. साष्टांग प्रणाम के संबंध में मान्यता है कि इस तरह प्रणाम करने से व्यक्ति की सारी गलतियों की क्षमा उसे मिल जाती है.
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प्रणाम की यह क्रिया हमारे भीतर बसे अहंकार की समाप्ति करती है. ईश्वर के निकट जाने के लिए भी सर्वप्रथम अहंकार को त्यागना पड़ता है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि दंडवत प्रणाम करने से एक यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.
Prostration significance : साष्टांग नमस्कार के लाभ
- साष्टांग प्रणाम करने से व्यक्ति जीवन के असली अर्थ को समझ पाता है और आगे की दिशा में बढ़ पाता है।
- इससे व्यक्ति के भीतर समान भाव की प्रवृत्ति जागृत होती है और अभिमान खत्म हो जाता है।
- साष्टांग प्रणाम ईश्वर के निकट पहुंचने का रास्ता है ।
- व्यक्ति अपने शरीर में ऊर्जा महसूस करने लगता है।
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