Putrada Ekadashi 2024: सावन की पुत्रदा एकादशी पर करें ऐसे पूजा, प्राप्त होगा संतान सुख
Putrada Ekadashi 2024: सावन के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख की प्राप्ति और संतान की सफलता के लिए किया जाता है.जो व्यक्ति संतान सुख से वंचित है, जिसे विवाह के काफी समय बाद भी कोई संतान नहीं हुई है, उसे सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान दोष मिटता है और उसे संतान की प्राप्ति होती है. पूजा के समय पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए.
Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी का महत्व और तिथि
पुत्रदा एकादशी साल में दो बार होती है: एक बार सावन माह में और दूसरी बार पौष माह में. इस साल सावन पुत्रदा एकादशी की तिथि 15 अगस्त को सुबह 10:26 बजे से शुरू होगी और 16 अगस्त को सुबह 09:39 बजे तक चलेगी. उदया तिथि के अनुसार 16 अगस्त को व्रत किया जाएगा.
Putrada Ekadashi 2024: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा
एक बार राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से सावन शुक्ल एकादशी व्रत की महिमा के बारे में बताने का निवेदन किया. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इसे सावन पुत्रदा एकादशी के नाम से जानते हैं. जो लोग इस व्रत की कथा सुनते हैं, उनको वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है. सावन पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा कुछ इस प्रकार से है-
एक समय में महिष्मति नगर पर राजा महीजित का शासन था. राजा महीजित ने कई वर्षों तक शासन किया. उसे कोई पुत्र नहीं था. पुत्र के न होने के दुख से राजपाट में उसका मन नहीं लगता था. वह कहता था कि जिसका पुत्र नहीं होता है, उसके लिए धरती और स्वर्ग दोनों ही कष्ट प्रदान करने वाले होते हैं. उसे सुख नहीं मिलता है. राजा महीजित ने पुत्र प्राप्ति के लिए काफी उपाय किए, लेकिन उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई.
वह काफी दुखी रहने लगा. एक दिन उसने सभा बुलाई और उनसे अपने मन की पीड़ा व्यक्त की. उसने कहा कि हमेशा दूसरों की सेवा की, दान-पुण्य का कार्य भी बढ़चढ़कर किया. लोगों के सुख में कोई कमी नहीं की. इतना कुछ करने के बाद भी उसे कष्टकारी जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है. उसे कोई पुत्र नहीं हुआ. इसका कारण क्या है?
राजा महीजित के दुख से प्रजा और मंत्री गण भी दुखी थे. वे जंगलों में जाकर ऋषि और मुनियों से अपने राजा की पीड़ा बताते और उसके निवारण का उपाय पूछते. इसी क्रम में एक दिन वे लोमश ऋषि के आश्रम में पहुंचे. उन्होंने लोमश ऋषि को प्रणाम करके आने का उद्देश्य बताया.
Putrada Ekadashi 2024: लोमश ऋषि ने बताया उपाय
उनकी बातें सुनने के बाद लोमश ऋषि ने ध्यान लगाया और राजा के दुख का कारण जानना चाहा. अपने तपोबल से उन्होंने जाना कि पूर्वजन्म में राजा महीजित ने धन कमाने के लिए कई बुरे कार्य किए थे. वह एक निर्धन वैश्य था. एक बार वह दो दिनों तक भूख-प्यास से परेशान रहा. पानी की तलाश में एक तालाब के पास पहुंचा. वहां एक गाय पानी पी रही थी तो उसे भगा दिया और खुद पानी पीने लगा. उस पाप कार्य के कारण इस जन्म में उसे पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ.
लोमश ऋषि ने उपाय बताते हुए कहा कि सावन शुक्ल एकादशी को विधिपूर्वक व्रत करो. विष्णु पूजा, पाठ और रात्रि जागरण करो. इस व्रत को करने से राजा महीजित पाप मुक्त हो जाएंगे और उनको पुत्र की प्राप्ति होगी. सावन शुक्ल एकादशी आने पर मंत्री गण और प्रजा ने विधिपूर्वक व्रत रखा. विष्णु पूजा और रात्रि जागरण किया. अगले दिन द्वादशी को उन्होंने अपने व्रत के पुण्य को राजा महीजित को दान कर दिया. उसके पुण्य प्रभाव से रानी गर्भवती हो गईं और राजा महीजित को पुत्र का सुख प्राप्त हुआ.
जो भी इस व्रत को विधि विधान से करता है, उसके पाप मिट जाते हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है. संतानहीन लोगों को संतान सुख मिलता है.
Putrada Ekadashi 2024: इस विधि से करें पूजा
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनें. घर के पूजा स्थल को साफ करके वहां एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा में पहले गणेशजी की पूजा करें, फिर विष्णु भगवान को धूप, दीप और फूल अर्पित करें.
4th Monday of Sawan: सावन के चौथे सोमवार पर इन शुभ योग में करें भगवान शिव का अभिषेक, महादेव होंगे प्रसन्न
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और संतान सुख की प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करें. विशेष रूप से इस दिन उपवासी रहना और व्रत का पालन करना लाभकारी माना जाता है. पूजा के बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दें.