Rama Ekadashi 2024: कार्तिक माह की पहली एकादशी है रमा एकादशी और चातुर्मास की अंतिम

Rama Ekadashi 2024: कार्तिक माह की पहली एकादशी है रमा एकादशी और चातुर्मास की अंतिम

Rama Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में हर माह पड़ने वाली हर एकादशी का महत्‍व होता है। विष्‍णुशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी के बीच चातुर्मास का विधान है। इन चार महीनों में भगवान के नाम, जप साधन, दान पुण्‍य करने से इंसान के जीवन में शांति और धार्मिक उन्‍नति होती है।

कार्तिक माह, जिसकी अपनी एक विशेष महिमा है। इसी माह के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को जगत के पालनहार भगवान विष्‍णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। इसी माह के दीपावली के ठीक पहले पड़ने वाली एकादशी, जिसे रमा एकादशी कहते हैं। इसे कार्तिक कृष्ण एकादशी या रम्भा एकादशी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।

Rama Ekadashi 2024: रमा एकादशी की महत्ता

पद्म पुराण के अनुसार,रमा एकादशी का पौराणिक महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्‍णु के साथ माता लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है। रमा एकादशी का व्रत करने से माँ लक्ष्मी और भगवान् विष्णु की विशेष कृपा होती है। आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है और सुख समृद्धि घर में निवास करती है।

रमा एकादशी व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता को दूर करती है और जीवन में नई रोशनी का संचार करती है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस व्रत को करने का विशेष महत्त्व है।

Rama Ekadashi 2024: तिथि व मुहूर्त

रमा एकादशी का पर्व 28 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रहा है।

 

एकादशी तिथि शुरू : 27 अक्टूबर सुबह 5:24 मिनट पर

 

एकादशी तिथि समाप्त : 28 अक्टूबर सुबह 7:50 मिनट पर

Rama Ekadashi 2024: रमा एकादशी व्रत कथा

एक नगर में मुचुकुंडा नाम के एक राजा राज्य करते थे। उनकी एक पुत्री थी जिसका नाम चंद्रभागा था। राजा ने बहुत धूम धाम से अपनी बेटी चंद्रभागा का विवाह राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ कर दिया। राजा मुचुकुंडा भगवान विष्णु के परम भक्त थे। वह हर साल रमा एकादशी का व्रत रखते थे और इस व्रत का उपवास करने के लिए पूरे राज्य में निर्देश दिए गए थे। इस नियम का पालन सभी को करना होता था। इस नियम को कोई भी तोड़ नहीं सकता था। उनकी पुत्री भी इस रमा एकादशी का व्रत पूरे विधि – विधान से करती थी।

लेकिन राजकुमार शोभन इन सभी बात से अनजान थे और उनकी एक कमजोरी भी थी कि वह ज्यादा देर तक भूखे नहीं रह सकते थे। शादी के कुछ समय बाद राजकुमार शोभन कृष्ण पक्ष के समय राजा मुचुकुंडा के राज्य में आये। इसी बीच रमा एकादशी का पर्व आ गया। उसके ससुराल में सभी लोग इस व्रत का पालन निष्ठा से करते थे। इसलिए उन्हें भी कहा गया कि आप भी यह व्रत करें। शोभन इस बात से चिंतित हो गए कि इस व्रत का पालन कैसे होगा। क्योंकि वह भूखे नहीं रह सकते थे।

 

उन्होंने इसके बारे में जब अपनी पत्नी से बात की तो, उन्होंने कहा कि वह इसके लिए कुछ नहीं कर सकतीं। क्योंकि इस दिन मनुष्यों के साथ साथ पशु भी अन्न ग्रहण नहीं करते हैं। इसलिए आप व्रत रखिये अन्यथा राज्य के बाहर जाइये। इस पर शोभन उनकी बात मान गए और कहा कि वह यहीं रहेंगे और साथ ही व्रत भी करेंगे।

 

वह अपने बीमार और कमजोर शरीर के साथ उपवास करने लगे। लेकिन शोभन पहले से ही दुर्बल थे ऊपर से उन्हें भूख भी बर्दास्त नहीं हो रही थी। जिसकी वजह से आधी रात को उनकी मृत्यु हो गयी। लेकिन रमा एकादशी उपवास करने के कारण उन्होंने स्वर्ग और अद्वितीय महान साम्राज्य प्राप्त किया। चूँकि उनसे यह उपवास जबरदस्ती करवाया जा रहा था इसलिए प्राप्त साम्राज्य अदृश्य हो गया था।

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एक समय एक ब्राह्मण मुचुकुंडा साम्राज्य से बाहर निकले और उन्होंने शोभन और उसके राज्य को देखा। इन सब चीजों को देखकर वह आश्चर्य चकित हो गए। राजकुमार शोभन ने उनको पूरा वृतांत सुनाया और कहा कि वह उनकी पत्नी को भी यह सब बता दें। ब्राह्मण वापस लौटकर राजकुमार की पत्नी चंद्रभागा को सब कुछ बता दिया। चंद्रभागा जो बचपन से ही इस रमा एकादशी  का व्रत कर रही थी। उस व्रत से प्राप्त लाभ से चंद्रभागा ने अदृश्य साम्राज्य को वास्तविकता में बदल दिया। इस तरह दोनों साथ में आ गए और आनंदमय जीवन यापन शुरू कर दिया।

Rama Ekadashi 2024: व्रत विधि

  • एकादशी के दिन प्रातः काल में उठकर नित्यकर्मों से मुक्त हो जाएं।
  • उसके बाद स्नान करके, जहां पूजा करना हो वहां सफाई करके एक चौकी बिछाकर भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी की फोटो रखें।
  • भगवान विष्‍णु को तुलसी के पत्ते, धूप, दीप, फूल और फल अर्पित करें।
  • भजन-कीर्तन करते हुए रात्रि में जागरण करें।
  • द्वादशी के दिन सुबह विधि पूर्वक पूजा करने के बाद ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें।
  • उसके बाद भोजन करके व्रत का पारण करें।

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