Ramlakshman Dwadashi: निर्जला एकादशी के साथ करें रामलक्ष्‍मण द्वादशी पूजा, जानें विधि और महत्‍व

Ramlakshman Dwadashi: निर्जला एकादशी के साथ करें रामलक्ष्‍मण द्वादशी पूजा, जानें विधि और महत्‍व

Ramlakshman Dwadashi: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को राम लक्ष्मण द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस विशेष दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम व शेषनाग के अवतार श्री लक्ष्मण की विधिवत् पूजा की जाती है।

इसके अलावा इस दिन भगवान गोविंद विट्ठलनाथजी की भी उपासना करने का विधान है। यह दिन भगवान राम और लक्ष्मण जी की पूजा के लिए समर्पित है। साथ में इस दिन श्रीकृष्ण की आराधना करने का भी विधान है।

दरअसल, पुराणों में भगवान राम और श्रीकृष्ण दोनों को ही भगवान विष्णु का अवतार माना गया है और लक्ष्मण जी को शेषनाग का अवतार माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन निश्छल मन से पूजा-अर्चना करने वाले उपासक को भगवान विष्णु के आशीर्वाद के साथ पुण्य की भी प्राप्ति होती है।

मान्यताओं के अनुसार , त्रेता युग में राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत को पूरे विधि-विधान से पूर्ण किया था। इस व्रत के फलस्वरूप स्वयं भगवान विष्णु के अवतार, राम जी और शेषनाग के अवतार लक्ष्मण जी ने राजा दशरथ के पुत्र के रूप में जन्म लिया। तब से भक्तों की अपार आस्था इस व्रत में निहित हैं। भक्त सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूरे श्रद्धाभाव से इस व्रत को रखते हैं।

Ramlakshman Dwadashi: क्यों कहते हैं चंपक द्वादशी?

राम लक्ष्मण द्वादशी के अवसर पर भगवान गोविंद विट्ठलनाथजी यानि श्रीकृष्ण की भी उपासना की जाती है। भगवान कृष्ण को चंपा के पुष्प अति प्रिय हैं, इसलिए इस विशेष दिन उनके पूजन व श्रृंगार में चंपा के फूलों का प्रयोग किया जाता है। यही कारण है कि राम लक्ष्मण द्वादशी को चंपक द्वादशी भी कहा जाता है।

आपको बता दें, इस शुभ और विशेष दिन चंपा के फूलों के साथ ईश्वर का पूजन व श्रृंगार पूरी श्रद्धा के साथ किया जाता है। इस पर्व को चंपक द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। आप इस दिन भगवान विष्णु का आशीष प्राप्त करने के लिए मंदिर जा सकते हैं।

इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें। मंत्रोच्चारण करें। इसके साथ ही सच्चे मन से भगवान का पूरे दिन स्मरण करें। वहीं ध्यान रखें इस दिन घर में तामसिक भोजन न बनाएं, किसी का अपमान न करें और किसी से कटु शब्दों का प्रयोग न करें।

Ramlakshman Dwadashi: राम लक्ष्मण द्वादशी का महत्व 

पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जितना महत्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी, अर्थात् निर्जला एकादशी का है, उतना ही महत्वपूर्ण राम लक्ष्मण द्वादशी भी है। यह दिन इसलिए भी विशेष माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान राम, लक्ष्मण और श्री कृष्ण तीनों की ही एक साथ उपासना की जाती है।

इस अवसर पर भक्त भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम, शेषनाग के अवतार श्री लक्ष्मण एवं श्रीगोविंद विट्ठलनाथजी की प्रतिमा की विधि विधान से पूजा करते हैं। राम लक्ष्मण द्वादशी को लेकर एक मान्यता ऐसी भी है, कि त्रेता युग में महाराज दशरथ ने संतान प्राप्ति के लिए इसी द्वादशी तिथि का व्रत किया था, जिसके प्रभाव के कारण ही उन्हें राम लक्ष्मण जैसी संतानों की प्राप्ति हुई थी।

पुराणों में राम-लक्ष्मण द्वादशी को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इस द्वादशी को चंपक द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है।

Ramlakshman Dwadashi: राम लक्ष्मण द्वादशी के लाभ

  • ऐसा माना जाता है कि चंपक द्वादशी के दिन चंपा के फूलों से भगवान श्री कृष्ण की पूजा व विधिवत् श्रृंगार करने से जातक को मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • इस अवसर पर सच्चे मन से राम, लक्ष्मण व कृष्ण की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।
  • राम लक्ष्मण द्वादशी तिथि पर व्रत रखने और तीनों देवों के दर्शन मात्र से ही समस्त पाप नष्ट होते हैं, और जीवन में सुख समृद्धि आती है।

Ramlakshman Dwadashi: पूजा विधि

  • राम लक्ष्मण द्वादशी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, और राम, लक्ष्मण व श्री कृष्ण का ध्यान करें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन उपवास रखने का संकल्प लें।
  • अब किसी मंदिर या घर के पूजास्थल पर जाकर भगवान कृष्ण और राम-लक्ष्मण की विधिवत् पूजा करें।

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  • पूजा की थाल में कुमकुम, चंदन, चावल, धूप व दीपक आदि रखें। इसके पश्चात् दीपक जलाकर भगवान को चंपा के पुष्प की माला पहनाएं और मस्तक पर चंदन का टीका लगायें।
  • भोग के रूप में सभी देवों को पंचामृत व फल अर्पित करें।

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