भारत में धार्मिक भेदभाव भयावह स्तर पर, अमेरिका ने की अफगानिस्तान-सीरिया से तुलना
Washington: पीएम मोदी की यात्रा के बाद अब भारत में कथित धार्मिक भेदभाव को लेकर एक बार फिर से अमेरिका भारत को धमकाने में जुट गया है। अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) के प्रमुख ने भारत को लेकर जहरीला बयान दिया है। अमेरिकी आयोग के प्रमुख रब्बी अब्राहम कूपर ने दावा किया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में धार्मिक भेदभाव ‘भयावह’ स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक भेदभाव राष्ट्रीय गौरव का विषय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर भारत में हालात नहीं सुधरे तो उसे अमेरिकी सरकार के प्रतिबंधों के लिए तैयार रहना चाहिए। यही नहीं अमेरिका ने भारत में अफगानिस्तान और सीरिया जैसे हालात बता दिए।
रब्बी अब्राहम कूपर ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि भारत ने पहले अच्छा किया है और उसे अपना रास्ता बदलना होगा क्योंकि चीजें खराब हो रही हैं। यह बहुत ही भयावह है। उन्होंने कहा, ‘धार्मिक भेदभाव राष्ट्रीय गौरव का विषय नहीं होना चाहिए।’ अमेरिकी आयोग ने सिफारिश की है कि भारत, अफगानिस्तान, सीरिया, नाइजीरिया और वियतनाम को अमेरिका सरकार की विशेष चिंता वाले देशों की सूची में डाल देना चाहिए। उसने कहा कि इन देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बहुत खराब हो रही है।
पीएम मोदी ने अमेरिका में दिया था करारा जवाब
वाइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी आयोग ने भारत सरकार की एजेंसियों और अधिकारियों के खिलाफ निशाना बनाकर आर्थिक और यात्रा प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया है। उसने दावा किया कि ये अधिकारी और एजेंसियां धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन में शामिल हैं। अमेरिकी आयोग ने यह धमकी ऐसे समय पर दी है जब अभी कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी ने वॉशिंगटन में वाइट हाउस का दौरा किया था और अमेरिकी संसद को भी संबोधित किया था।
इससे पहले साल 2005 में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी के टूरिस्ट और बिजनस वीजा को गुजरात दंगों को लेकर रद कर दिया था। कूपर ने कहा, ‘इसलिए हम अब आशा कर रहे हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा हो गई है और अब एक गंभीर समीक्षा होगी।’ इससे पहले अमेरिका दौरे पर पीएम मोदी से जब मुस्लिमों के साथ भेदभाव को लेकर सवाल किया गया था। इस पर पीएम मोदी ने करारा जवाब देकर सबकी बोलती बंद कर दी थी। उन्होंने साफ किया था कि भारत में संविधान का शासन है और किसी भी प्रकार के भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है। अमेरिका सरकार ने पिछले साल भारत को विशेष चिंता वाले देशों की सूची में शामिल नहीं किया था। वह भी तब जब USCIRF ने ऐसा करने के लिए सिफारिश की थी।