Rudrabhishek Puja: सावन में भगवान शिव काे करना हैं प्रसन्‍न, तो करें रुद्राभिषेक, भोले होंगे प्रसन्‍न

Rudrabhishek Puja: सावन में भगवान शिव काे करना हैं प्रसन्‍न, तो करें रुद्राभिषेक, भोले होंगे प्रसन्‍न

Rudrabhishek Puja: सावन में भगवान शिव, साक्षात मां पार्वती के साथ पृथ्‍वी पर विचरण करते हैं. सावन भगवान शिव की पूजा-अराधना करने का विशेष माह होता है.

भगवान शिव जितने भोले हैं, उतना ही क्रोधित होने पर उनका रुद्र अवतार भी है. इन अवतारों में रुद्र अवतार का बड़ा महत्व है. शिव पुराण के अनुसार रुद्र अवतार को “विध्वंसक” के रूप में जाना जाता है.

भगवान भोलेनाथ के इसी रुप का अभिषेक करने से वो बेहद प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं. इसी पूजा को रुद्राभिषेक पूजा कहते हैं. भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए रामेश्वर में रुद्राभिषेक पूजा की थी. रुद्राभिषेक से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने राम जी को विजयी होने का आशीर्वाद दिया था.

रुद्राभिषेक पूजा करने से भगवान शिव जी हमारी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. साथ ही हमें सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

Rudrabhishek Puja: क्या है रुद्राभिषेक ? 

शास्त्रों के अनुसार, रुद्र भगवान शिव का ही एक रूप है. ये रूप भोलेनाथ को बहुत अधिक प्रिय है. यही कारण है कि भोलेनाथ के महीने सावन में रुद्राभिषेक को बहुत लाभदायक माना जाता है.  सावन के सोमवार के दिन अगर रुद्राभिषेक किया जाता है तो इससे भोलेनाथ बहुत प्रसन्‍न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहे फल प्रदान करते हैं.

इसके साथ ही रुद्राभिषेक करने से ग्रह जनित दोषों और रोगों से भी मनुष्यों को शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है.

रुद्राभिषेक दो शब्दों से मिलकर बना है, रुद्र और अभिषेक. इसमें रुद्र का अर्थ भगवान शिव है और अभिषेक का अर्थ है स्नान कराना.  अर्थात भगवान शिव के रुद्र अवतार को रुद्र मंत्रों के माध्यम से विभिन्न पदार्थों से स्नान कराना रुद्राभिषेक कहलाता है.

तो चलिए यहां जानते हैं, रुद्राभिषेक पूजा क्या है?  रुद्राभिषेक करने की प्रथा कहां से शुरू हुई और इस पूजा से लोगों को क्या लाभ होता है?

Rudrabhishek Puja: कैसे शुरू हुई रुद्राभिषेक पूजा

प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से जो कमल उत्पन्न हुआ था उसी से ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई थी. फिर एक बार ब्रह्माजी अपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंच गए. तब विष्णु जी ने उन्हें उनके जन्म का रहस्य बताया और ये बताया कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है.

इस बात पर ब्रह्माजी को गुस्सा आ गया और ये बात मानने के लिए तैयार ही नहीं हुए की उनको उत्पन्न करने वाले विष्णु जी हैं. दोनों में भयंकर युद्ध छिड़ गया. फिर इस युद्ध को शांत करने के लिए भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए. फिर जब ब्रह्मा और विष्णु को इस युद्ध के आदि और अंत पता नहीं चला तो उन्होंने हार मानते हुए लिंग का अभिषेक कर लिया. इस अभिषेक से रुद्र काफी प्रसन्‍न हुए. बस तभी से रुद्राभिषेक का आरंभ हुआ और भोलेनाथ को प्रसन्‍न करने के लिए उनका रुद्राभिषेक होने लगा.

एक बार भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ वृषभ की सवारी कर रहे थे. उस दौरान माता पार्वती ने लोगों को रुद्राभिषेक करते हुए देखा तो उन्होंने इस अभिषेक के बारे में जानने की इच्छा को व्यक्त किया. उन्होंने इस पूजा के बारे में और इससे होने वाले लाभ के बारे में भगवान शिव से पूछा.

तब उन्होंने इसका जवाब देते हुए माता पार्वती को बताया कि, ‘हर मनुष्य ये चाहता है कि उसे शीघ्र ही फल की प्राप्ति हो. ऐसे में मनुष्य अपनी कामना पूर्ति की इच्छा रखते हुए विविध द्रव्यों से रुद्र का अभिषेक करते हैं. इससे मैं शीघ्र ही प्रसन्‍न होता हूँ और उन्हें मनचाहा वरदान प्रदान करता हूं.

 

Rudrabhishek Puja: रुद्राभिषेक पूजा के लाभ 

  • रुद्राभिषेक पूजा करने से भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • रुद्राभिषेक करने से अकाल मृत्यु और लंबी बीमारी का डर दूर हो जाता है।
  • रुद्राभिषेक पूजा से घर की नकारात्मकता दूर होती है और घर में सकारात्मकता आती है।
  • रुद्राभिषेक करने से इस जन्म के साथ पिछले जन्म के भी पाप नष्ट हो जाते हैं।
  • भगवान रूद्र में सभी देवताओं का वास होता है  इसलिए जब हम रुद्राभिषेक करते है तो सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
  • किसी व्यक्ति के यदि कालसर्प योग लगा हो तो उसे रुद्राभिषेक करना चाहिए इससे कालसर्प योग का प्रभाव दूर होता है।
  • यदि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करते है तो यह अति फलदायी होता है।

Rudrabhishek Puja: रुद्राभिषेक मंत्र 

ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च

मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति

ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो

रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः

बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः।

भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा।

भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम:॥

यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत्।

निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम्॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्॥

सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु। पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम:॥

विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत्। सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु॥

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Rudrabhishek Puja: रुद्राभिषेक पूजा के लिए आवश्यक सामाग्री  

  • शुद्ध जल
  • घी
  • पान
  • सुपारी
  • नारियल
  • गन्ने का रस
  • दूध
  • दही
  • शहद
  • गुलाबजल
  • कपूर
  • श्रृंगी
  • बिल्वपत्र
  • मेवा
  • मिठाई
  • दीपक
  • बत्ती
  • अगरबत्ती
  • धुप
  • मौली
  • भांग
  • धतूरा इत्यादि।

 

 

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