Sharad Purnima 2024: आध्यात्मिक प्रेम और आत्मा का परमात्मा से मिलन का पर्व है शरद पूर्णिमा
Sharad Purnima 2024: हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। धार्मिक दृष्टि से शरद पूर्णिमा के दिन चांद सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन लोग उपवास रखकर भगवान कृष्ण की उपासना करते हैं। इसी दिन लोग खीर बनाकर चांद के सामने रखते हैं और सुबह प्रसाद के रूप में इसे लोग ग्रहण करते हैं।
वैज्ञानिकों की माने तो इस दिन चंद्रमा से विशेष उर्जा निकलती है। जिसको प्रसाद ग्रहण करने वालों को मन की शांति और एक उर्जा का अनुभव होता है।
Sharad Purnima 2024: भगवान श्री कृष्ण इस दिन करते हैं महारास
शरद पूर्णिमा की रात महारास के लिए भी जानी जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों संग रास रचाकर भक्ति और समर्पण की अनूठी मिसाल कायम की थी। यह रात आध्यात्मिक प्रेम और भक्ति के मिलन की रात मानी जाती है। कहते हैं कि जब श्री कृष्ण ने अपनी अपनी बांसुरी पर मधुर तान झोड़ी, तब इन गोपियों ने अपने सांसारिक जीवन को त्याग कर श्री कृष्ण के चरणों में खुद को समर्पित कर दिया था।
Sharad Purnima 2024: रासलीला का है आध्यात्मिक महत्व
वास्तव में गोपिकाओं के साथ कृष्ण जी रास लीला करते थे वो कोई भौतिक रास नहीं था बल्कि ये तो आत्मा और परमात्मा का रास होता था जिसमे मनुष्य जिसके भीतर एक आत्मा है वो उस परमात्मा से मिलती है जोकि मानव के अंदर होती है । किसी भी जीवात्मा का अंतिम पड़ाव उस परमात्मा से मिलना ही होता है जिसके लिए उसे 84 लाख योनियों से गुजरना पड़ता है अर्थात उस परमात्मा से मिलने के लिए कितना समय लगता है ।
रास ‘ शब्द का मूल अर्थ ‘रस’ है। श्रीकृष्ण स्वयं रस के अवतार हैं। जिस दिव्य क्रीड़ा में एक ही रस अनेक रसों में प्रकट होता है, उस रस का रसास्वादन करना ही ‘रास’ है। उसमें काम-भावनाओं की कोई स्थान नहीं है, ये प्रेम की पराकाष्ठा है। देह और देही का भेद अप्राकृत लोक में कहीं नहीं होता। इस भाव के प्रेम रस की एक झलक माता के वात्सल्य में भी देखी जा सकती है।
Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा में रखें इन बातों का ध्यान, बनाएं इन चीजों से दूरी
श्रीमद्भागवत महापुराण, दशम स्कंध के तेंतीसवां अध्याय में महारास का विस्तार से उल्लेख आता है। बहुत सुंदर दृश्य है, श्रीकृष्ण मध्य में बाँसुरी लेकर खड़े हैं, गोपियाँ एक गोल दायरा बना कर खड़ी हैं, सबके संग भगवान श्रीकृष्ण भी हैं, वे बाँसुरी बजा रहे हैं, नृत्य कर रहे हैं, दिव्य शोभा है, आकाश में असंख्य देवी, देवता, गंधर्व, किन्नर आदि मग्न हो कर सब देख रहे हैं। स्वयं लक्ष्मी जी बैकुण्ठ से भगवान श्रीहरि के साथ, ब्रह्मा जी एवं सपरिवार भगवान शंकर जी के के साथ वहाँ आई हुई हैं।
Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पूजा विधि
इस दिन सुबह उठकर पानी में गंगाजल डालकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं और गंगाजल से शुद्ध करें। चौकी के ऊपर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद फूल, इत्र, नैवेद्य, धूप-दीप, सुपारी आदि से विधिवत पूजन करें. पूजन संपन्न होने के बाद आरती करें. शाम के समय पुनः मां और भगवान विष्णु का पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें.
चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें. मध्य रात्रि में मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रुप में परिवार के सभी सदस्यों को खिलाएं.