शीट सेयरिंग को लेकर बनी बात, कांग्रेस को 17 सीटें देगी सपा, अखिलेश बोले- अंत भला तो सब भला
Congress-SP Seat Sharing: कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तैयार हो गया है. इसका औपचारिक ऐलान होना बाकी है. सपा कांग्रेस को 17 सीटें देने पर राजी है. वाराणसी सीट कांग्रेस के खाते में गई है. वहीं, बुलंदशहर या मथुरा में से एक सीट कांग्रेस लौटा देगी और उसके बदले में श्रावस्ती लेगी.दोनों पार्टियों के बीच आज शाम तक सीट शेयरिंग का ऐलान हो जाएगा. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसकी पुष्टि की है. इस संबंध में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे बीच कोई विवाद नहीं है. गठबंधन होगा. जल्द ही सारी चीजें साफ हो जाएंगी. बाकी चीजें तो पुरानी हो गई हैं. अंत भला तो सब भला.
आज यानी बुधवार को शाम पांच बजे लखनऊ में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस हो सकती है.
कांग्रेस को कौन-कौन सी सीटें दी गई हैं?
सपा ने कांग्रेस को 17 सीटें दी हैं. इसमे रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया हैं. बुलंदशहर या मथुरा में से एक सीट कांग्रेस लौटा देगी और उसके बदले में श्रावस्ती लेगी. अखिलेश यादव ने इस पर लगभग सहमति दे दी है.
दरअसल गठबंधन के लिए सपा शर्त रख रही थी, लेकिन कांग्रेस की पूरी कोशिश थी कि यूपी में दोनों पार्टियां साथ लड़ें. कांग्रेस का मानना है कि सामने बड़ी लड़ाई है इसलिए साथ जरूरी है. कांग्रेस सीटों की संख्या ज्यादा नहीं चाहती थी. वो जीत सकने वाली सीटें चाहती थी.
कांग्रेस का कहना था कि 2019 में बसपा के साथ गठजोड़ में मुरादाबाद मंडल में सपा ने 6 में से 3-3 सीटों का समझौता किया था, हम तो सिर्फ दो ही मांग रहे हैं. कांग्रेस ने कहा कि सपा का मीडिया के जरिए दबाव बनाना ठीक नहीं है. कांग्रेस का मानना रहा कि अगर समझौता नहीं हुआ तो दोनों दलों का नुकसान है. राष्ट्रीय चुनाव होने के चलते मुस्लिम मतदाता भी इस बार सपा के बजाय कांग्रेस का साथ देगा. मिलकर लड़ने से मोदी विरोध और अल्पसंख्यक मतदाता एकजुट होकर गठबंधन का साथ देंगे.
सूत्रों का यह भी कहना था कि चूंकि सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनी है, इसलिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सा नहीं लिया है. इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि जब तक कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक वे यात्रा में हिस्सा नहीं लेंगे. एक बार सीटों का बंटवारा तय हो जाए तो समाजवादी पार्टी कांग्रेस की न्याय यात्रा में शामिल हो जाएगी.
कैसे पटरी पर आई बातचीत?
सूत्रों के मुताबिक, सपा के साथ गठबंधन में प्रियंका गांधी ने अहम भूमिका निभाई. प्रियंका ने अखिलेश से फोन पर बात की, जिसके बाद ही गठबंधन फाइनल हो सका.कांग्रेस ने अखिलेश की दी हुई सीटों पर आखिर में दो बदलाव मांगे थे. पहला- हाथरस सपा को वापस देकर सीतापुर दी जाए. सपा ने कांग्रेस की इस मांग को मान लिया. वहीं, दूसरा बुलंदशहर या मथुरा में से एक सीट सपा ले ले और कांग्रेस को श्रावस्ती दे दें. अखिलेश ने श्रावस्ती देने पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके शाम तक जवाब देने को कहा है. इसके बाद ही दोनों नेता (अखिलेश और प्रियंका) सहमत हो गए और गठबंधन पर मुहर लग पाई. प्रियंका चाहती थीं कि मुरादाबाद में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से पहले गठबंधन पर बात बन जाए. 24 फरवरी को यात्रा दोबारा मुरादाबाद से शुरू हो रही है. प्रियंका भी इसमें शामिल होने जा रही हैं.
2017 में हुआ था एलायंस
बताते चलें कि 2017 में जब चुनाव हुए, तब यूपी की सत्ता में सपा थी और चुनाव के वक्त सपा-कांग्रेस में अलायंस हुआ था. उस समय चुनाव प्रचार में गठबंधन ने नारा दिया था- ‘यूपी को ये साथ पसंद है.’ तब दोनों ही दलों के नेता ‘यूपी के दो लड़के’ साथ आने का संदेश देते नजर आए थे. एक बार फिर दोनों ही पार्टियों के बीच अलायंस फाइनल हो गया है.