इस बार 62 दिनों तक चलेगी अमरनाथ यात्रा, पहला जत्था रवाना
New Delhi: 62 दिवसीय अमरनाथ यात्रा शनिवार को शुरू हो गई। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था कश्मीर के गांदरबल जिले में बालटाल आधार शिविर से गुफा मंदिर के लिए रवाना हुआ। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच तीर्थयात्री शनिवार सुबह आधार शिविर से रवाना हो गए। आज सुबह जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ गुफा मंदिर में ‘आरती’ की गई। इसी के बाद यात्रा आरंभ हुई है। बालटाल से मंदिर तक की 13 किमी लंबी यात्रा कुछ सबसे जोखिम भरे पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरती है जहां स्थानीय गाइड और टट्टू तीर्थयात्रियों के काम आते हैं।
हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध
स्थानीय लोग इस हिमालयी तीर्थयात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने में बहुत योगदान देते हैं क्योंकि पहाड़ी इलाके का उनका ज्ञान और अनुभव अक्सर लोगों की जान बचाता है और यात्रा को आरामदायक बनाता है। बालटाल से पंजतरणी और वापसी के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं। बालटाल मार्ग का उपयोग करने वाले तीर्थयात्रियों को गुफा मंदिर के अंदर ‘दर्शन’ करने और आधार शिविर में लौटने में सिर्फ एक दिन लगता है। भक्तों के अनुसार, हिमालय गुफा मंदिर में एक बर्फ की संरचना है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों का प्रतीक है। यह समुद्र तल से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
188 वाहनों में आधार शिविर से रवाना हुए
तीर्थयात्री सुबह 188 वाहनों में आधार शिविर से रवाना हुए और इसके साथ ही जम्मू आधार शिविर से अमरनाथ यात्रा के लिए रवाना होने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 7,904 हो गई है। 2,733 श्रद्धालु 94 वाहनों में सुबह चार बजकर 50 मिनट पर पहलगाम के लिए रवाना हुए, जबकि 1,683 तीर्थयात्री 92 वाहनों में लगभग एक घंटे पहले बालटाल आधार शिविर के लिए रवाना हुए। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार सुबह तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को भगवती नगर आधार शिविर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। अमरनाथ के लिए 62 दिवसीय तीर्थयात्रा शनिवार को कश्मीर से शुरू हुई। इस यात्रा के लिए दो मार्ग हैं। पहला, अनंतनाग जिले का 48 किलोमीटर लंबा पारंपरिक नुनवान-पहलगाम मार्ग, जबकि दूसरा गांदरबल जिले का बालटाल मार्ग, जो करीब 14 किलोमीटर छोटा, लेकिन बेहद दुर्गम है।