Valley of Flowers: फूलों की घाटी, जहां दिखता है प्रकृति और रोमांच का अदभुत मिश्रण, एक बार जरूर जाएं
Valley of Flowers: क्या आपने कभी ऐसी जगह जाने का सपना देखा है, जहां आप बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरी हरी-भरी घाटी में खिलते हज़ारों रंग-बिरंगे फूलों को देख सकें? ऐसी जगह जहाँ आप हिम तेंदुए, काले भालू और हिमालयी मोनाल जैसे दुर्लभ और अनोखे जानवरों को देख सकें? ऐसी जगह जहाँ आप सुंदर रास्तों से होते हुए ट्रेकिंग और बहती नदियों और झरनों को पार करने के रोमांच का अनुभव कर सकें? ऐसी जगह जहां आप प्राचीन मंदिरों और तीर्थस्थलों की आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस कर सकें?
अगर हां, तो आपको फूलों की घाटी ज़रूर देखनी चाहिए, जो भारत के उत्तराखंड में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. फूलों की घाटी, धरती पर सबसे खूबसूरत और अनोखी जगहों में से एक है, जहाँ प्रकृति और रोमांच एक साथ मिलकर टूरिस्टों के लिए एक जादुई अनुभव बनाते हैं.
इस घाटी को लेकर एक और भी रोचक बात है. कहा जाता है कि ये घाटी हर पंद्रह दिन में अपना रंग बदलती है. इसके पीछे कोई चमत्कार नहीं, बल्कि यहां फूलों की सैकड़ों प्रजातियां मौजूद हैं और हर प्रजाति दस-पंद्रह दिन के अंतराल में खिलती है. इससे ऐसा लगता है मानो घाटी रंग बदल रही है.
Valley of Flowers: फूलों की घाटी का इतिहास
फूलों की घाटी की खोज 1931 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्माइथ ने संयोग से की थी, जो माउंट कामेट के अभियान से लौट रहे थे. वे जीवंत फूलों से भरी घाटी को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए और उन्होंने इसका नाम फूलों की घाटी रख दिया.घाटी को 1982 में राष्ट्रीय उद्यान और 2005 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था. यह अब नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है, जिसमें नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल है.
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी, लक्ष्मण जी को ठीक करने के लिए घाटी से संजीवनी जड़ी-बूटी लाए थे, जब युद्ध के दौरान उनको शक्ति लग गई थी.
Valley of Flowers: 600 से अधिक प्रजातियां हैं यहां
फूलों की घाटी में आपको 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलेंगी, यहां मतलब जैव-विविधता का खजाना है। यहां पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एमोनाइटम, ब्लू पापी, मार्स मेरी गोल्ड, फैन कमल जैसे कई तरह के फूल उगते हैं। बता दें, अगस्त-सितंबर के महीने में तो यहां सबसे ज्यादा फूल खिलते हैं। घाटी में दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का संसार बसता है। घाटी जून से लेकर अक्टूबर तक खुली रहती है
Valley of Flowers: देखने को मिलेंगे दुर्लभ फूल
ब्रह्मकमल: इस फूल को “देवताओं का फूल” भी कहा जाता है. यह इस क्षेत्र का प्रतिष्ठित फूल है. यह आमतौर पर जुलाई और अगस्त के महीनों में खिलता है.
भूटकेश: यह एक सुगंधित पीला फूल है जो ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है.
नीलकमल: यह एक दुर्लभ और सुंदर नीला फूल है जो गिनी-चुनी जगहों पर मिलता है. और फूलों की वादी इनमें से एक जगह है.
गेंदा: यह फूल घाटी में बहुतायत में पाया जाता है, जो घाटी की सूंदरता में चार चांद लगाता है.
कैमोमाइल: यह एक छोटा सफेद फूल है जिसका उपयोग अक्सर चाय बनाने के लिए किया जाता है.
यह जगह धरती पर मौजूद किसी स्वर्ग से कम नहीं है और एक बार तो यहां की ट्रिप बनती है. खासकर गर्मी के मौसम में जब हर तरफ आसमान से आग बरस रही हो तब यहां का तापमान आपको राहत देगा.
Valley of Flowers: कैसे पहुंचे फूलों की घाटी
1 जून से लेकर 31 अक्टूबर तक फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुली रहती है. अगर आपको इस खूबसूरत जगह पर पहुंचना है तो बद्रीनाथ हाइवे से गोविंदघाट के लिए जाना होगा. यहां से 3 किमी सड़क यात्रा करके पुलना तक जाना है फिर 11 किमी पैदल ट्रेकिंग करके हेमकुंड यात्रा के बेस कैंप से होते हुए घाघरिया तक जाना होगा. यहां से 3 किलोमीटर दूर स्थित है फूलों की घाटी. यहां कोई दुकान नहीं हैं इसलिए आपको बेस कैंप घांघरिया से ही अपने जरूरी सामान खरीदकर ले जाने होंगे. भारतीयों को 150 रुपए और विदेशियों को 600 रुपए बतौर रजिस्ट्रेशन फीस देने होंगे।
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उत्तराखंड में फूलों की घाटी में प्रवेश करने के लिए वन विभाग से परमिट लेना पड़ता है. घाटी के अंदर ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए, आगंतुकों को तीन दिन के परमिट की वैधता अवधि के दौरान केवल दिन के समय ही प्रवेश की अनुमति है.
तीर्थयात्री अक्सर हेमकुंड स्थित सिख मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग का उपयोग करते हैं.
श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा एक पूजनीय सिख तीर्थस्थल है. यह केवल कुछ महीनों के लिए ही खुला रहता है. भारी बर्फबारी के कारण सर्दियों के दौरान इसे बंद कर दिया जाता है. हेमकुंड झील में राजसी पहाड़ और मनमोहक ग्लेशियर दिखाई देते हैं.
फूलों की घाटी से सटा नंदा देवी पार्क घूमने के लिए एक खूबसूरत जगह है. इस शानदार अभयारण्य में दुर्लभ वनस्पतियाँ और कई तरह के लुप्तप्राय जीव पाए जा सकते हैं.