Vat Savitri worshiped 2024: ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा पर क्‍यों करते हैं वट सावित्री की पूजा, क्‍या है धार्मिक महत्‍व

Vat Savitri worshiped 2024: ज्‍येष्‍ठ पूर्णिमा पर क्‍यों करते हैं वट सावित्री की पूजा, क्‍या है धार्मिक महत्‍व

Vat Savitri worshiped 2024: ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा का बहुत महत्व है. इस दिन सूर्य और चन्द्र 180 डिग्री पर  होते हैं. चंद्रमा को ज्योतिष शास्त्र में मन का कारक ग्रह कहा जाता है.

ज्येष्ठ पूर्णिमा और वट पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु, सूर्य, शिव, मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इससे घर में सुख समृद्धि आती है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पाप का नाश होता है. महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए वट पूर्णिमा व्रत रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करती हैं.

Vat Savitri worshiped 2024: वट पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

वट पूर्णिमा का व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है. यह व्रत भी वट सावित्री तरह ही किया जाता हैं. इसमें भी विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा और उपवास करती हैं. मान्यताओं के अनुसार इसमें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है, इसलिए पूजा करने पर इन तीनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

पद्म पुराण के अनुसार वट वृक्ष को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है और किसी भी पूर्णिमा तिथि में भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है.चूंकि ज्येष्ठ महीने में ही वट सावित्री अमावस्या होती है, इसी वजह से 15 दिन बाद इसी महीने की पूर्णिमा तिथि को दोबारा वट वृक्ष की पूजा का विधान है.

Vat Savitri worshiped 2024: वट पूर्णिमा पूजा सरल विधि

सुबह जल्दी उठें स्नान ध्यान कर वट सावित्री व्रत की तरह ही इस दिन भी 16 श्रृंगार करें.

फिर इसके बाद वट वृक्ष की पूजा शुरू करें और बरगद को जल या दूध मिश्रित जल अर्पित कर पुष्प, अक्षत, फूल, धूप-दीप और मिठाई चढ़ाएं. महिलाएं चौबीस बरगद फल (आटे या गुड़ के) और चौबीस पूरियां आंचल में रखकर, इसमें से 12 पूरी और 12 बरगद फल वट वृक्ष को चढ़ा दें.

कच्चे सूत को वट वृक्ष को लपेटते हुए, हर परिक्रमा पर एक चना चढ़ाएं, सावित्री माता और वट वृक्ष का ध्यान करें, 11 बार परिक्रमा करें और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लें. परिक्रमा पूरी होने के बाद सत्यवान और सावित्री की कथा सुनें और बुजुर्गों का आशीर्वाद लें.

पूजा के बाद श्रृंगार का सामान किसी अन्य सुहागन महिला को दे दें और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें.

वट पूर्णिमा व्रत के दिन सात्विक आहार और विशेषकर मीठी चीजों का ही सेवन करें.

पूजा समाप्त होने पर महिलाएं ग्यारह चने और वृक्ष की बौड़ी (वृक्ष की लाल रंग की कली) तोड़कर जल से निगलें और व्रत समाप्त करें.

Vat Savitri worshiped 2024: ज्येष्‍ठ पूर्णिमा पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर दिनचर्या पूरी कर गंगा स्नान कर व्रत का संकल्प लें. पीले वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.

चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को आसन दें, प्रणाम कर पूजा शुरू करें. भगवान और माता को गंध, पुष्प, फल, फूल, मिठाई और वस्त्र अर्पित करें, माता लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं. देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें, विष्णु चालीसा पढ़ें और मां लक्ष्मी के मंत्र जपें.

भगवान विष्णु जी की आरती गाएं और प्रसाद बांटें.

Vat Savitri worshiped 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर क्या करें

पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ या ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:’ का जप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें.

मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का वास होता है. सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें. इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा.

पूर्णिमा के दिन नित्य-कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर एक मिट्टी का दीपक हनुमान जी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें. ऐसा करने से सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं.

Ramlakshman Dwadashi: निर्जला एकादशी के साथ करें रामलक्ष्‍मण द्वादशी पूजा, जानें विधि और महत्‍व

Vat Savitri worshiped 2024: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पर इन बातों का रखें ध्यान

  • अगर आपके समीप वट वृक्ष उपलब्ध नहीं है तो घर में पूजा स्थल पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर शिव-पार्वती जी और लक्ष्मी-नारायण जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें और उनकी पूजा पूरे विधि-विधान से करें।
  • अगर संभव हो पाए तो आप वहां एक तुलसी का पौधा और वट वृक्ष की टहनी भी रख सकते हैं।
  • ध्यान रहें व्रत के दिन बाल न धोएं, एक दिन पहले आप अपने बालों को धो लें।
  • वृद्धों का अनादर न करें, ऐसा करने से आपको पूजा का फल प्राप्त नहीं होगा।
  • तामसिक भोजन न ग्रहण करें।

 

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427