violence on Hindu festivals: हिंदुओं के त्योहार पर ही क्यों फैलती हैं अराजकता और हिंसा
violence on Hindu festivals: यह हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य है कि यहां की बहुसंख्यक आबादी को अपने तीज-त्योहार मनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हिन्दुओं के द्वारा कोई भी धाार्मिक आयोजन किया जाता है उस पर मुस्लिम कट्टरपंथियों का साया पड़ जाता है।
हिन्दू जब भी कावड़ यात्रा निकाले,माता का जागरण कराये, मूर्ति विसर्जन को जाये या इसी तरह के अन्य कोई आयोजन करे तो मुस्लिम कट्टरपंथी कहीं उस पर पथराव करने लगते हैं तो कहीं रास्ता रोक कर खड़े हो जाते हैं। उनके इस कृत्य का विरोध होता है तो यह लोग तलवारें भांजने लगते हैं। आगजनी और पेट्रोल बम तो आम बात हो गई है,लेकिन पेट्रोल बम फोड़ने वाले तब जरूर आहत हो जाते हैं जब उन्हें कहीं पटाखों की आवाज सुनाई पड़ जाती है।
violence on Hindu festivals: हिंदुओं के धार्मिक आयोजनों पर हमला
हालात यह है कि हिन्दुओं के छोटे से छोटे धार्मिक आयोजन भी बिना पुलिस की सुरक्षा के घेरे के पूर्ण नहीं हो पाते हैं। हिन्दुओं के देवी-देवताओं को कभी कला के तो कभी अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपमानित किया जाता है। न जाने क्यों पांच टाइम लाउडस्पीकर पर चीखने चिल्लाने वालों को हिन्दुओं के धार्मिक आयोजनों में बजने वाला डीजे बेचैन क्यों कर देता है।
इसी तरह से होली के रंग-गुलाल भी एक वर्ग विशेष के चंद कट्टरपंथियों के चलते साम्प्रदायिक हो जाता है। ऐसा नहीं है कि यह कट्टरपंथी तभी भड़कते हों जब हिन्दुओं के द्वारा अपना कोई धार्मिक जुलूस आदि सड़क पर निकाला जाता हो,हद तो तब हो जाती है जब हिन्दुओं के लिये अपने घरों में पूजा करना भी लड़ाई-झगड़े की वजह बन जाता है। गरबा या दुर्गा पूजा के पंडालो तक में यह मुस्लिम चरमपंथी पहुंच कर माहौल खराब करने से नहीं हिचकते हैं।
violence on Hindu festivals: मिलता है राजनैतिक संरक्षण
इतना हीं कई बार तो इन अराजक तत्वों को वोट बैंक की राजनीतिक करने वाले नेताओं और पार्टियों का राजनैतिक संरक्षण भी मिल जाता है। यदि ऐसा न होता तो बहराइच में बेरहमी से मारे गये रामगोपाल मिश्र की हत्या पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक्स पर वह कथित वीडियो नहीं पोस्ट करते जिसमें रामगोपाल मिश्रा एक मुस्लिम परिवार के घर से हरा झंडा उतार कर भगवा झंडा लगाते हुए दिखाई दे रहा है।
अखिलेश इस वीडियों के सहारे रामगोपाल मिश्रा को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं,जबकि इसका कानूनी पहलू यह है कि यदि रामगोपाल मिश्रा ने हरा झंडा उतार कर वहां भगवा झंडा फहरा भी दिया था तो हत्यारों को उसका कत्ल करने की छूट नहीं मिल जाती है। रामगोपाल मिश्र को मारा ही नहीं गया,उसके साथ हत्यारों ने वहशीपन दिखाते हुए रामगोपाल के नाखून तक बेरहमी के साथ नोंच लिये थे।
violence on Hindu festivals: इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर दुर्गा पूजा
ज्यादा पीछे न भी जाया जाये तो हाल फिलहाल में ही इस्लामी कट्टरपंथियों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में दुर्गा पूजा और हिन्दुओं को निशाना बनाया है। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने कहीं पंडाल पर पथराव किया गया तो कहीं मूर्ति विसर्जन के जुलूस पर हमला हुआ, जुलूस के रास्तों को लेकर भी विवाद हुआ।
उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल और असम तक पथराव और हिंसा हुई है। यह हिंसा हिन्दुओं के त्योहार नवरात्र के साथ ही चालू हो गई थी। हावड़ा के श्यामगंज में 13 अक्टूबर, 2024 को एक मुस्लिम भीड़ ने हिन्दू पंडालों पर हमला किया। मुस्लिम भीड़ ने दुर्गा पूजा पंडालों को नष्ट करना चालू कर दिया। उन्होंने मूर्तियों को आग लगा दी और कई पंडालों को तबाह किया। यह मुस्लिम भीड़ उस घाट पर भी पहुँची जहाँ देवी मूर्तियों का विसर्जन होना था। यहाँ इस भीड़ ने पथराव किया।
violence on Hindu festivals: हिंसा का रहा है इतिहास
बात विशेषकर उत्तर प्रदेश की कि जाये तो यहां के कौशांबी जिले में माँ दुर्गा के विसर्जन जुलूस पर हमला हुआ। इस हमले में जुलूस में शामिल महिला श्रद्धालुओं को भी निशाना बनाया गया। हमले के दौरान तलवारें लहराई गईं और पत्थरबाजी हुई। घटना में कई श्रद्धालुओं को चोटें आई।
12 अक्टूबर, 2024 को हुए इस हमले का आरोप मुस्लिम समुदाय के लगभग एक दर्जन लोगों पर लगा है जिसमें ख़ातूनें भी शामिल हैं। माँ दुर्गा की प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया और एक महिला से दुष्कर्म की भी कोशिश हुई। पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।
इसी तरह से बलरामपुर में दुर्गा पूजा के दौरान इस्लामिक कट्टरपंथियों ने पंडाल में घुसकर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। आरोपितों में कलीम, अरबाज़, इमरान और मुख़्तार शामिल थे, जिन्होंने महिला श्रद्धालुओं से अभद्रता की और पंडाल में लगे भगवा ध्वज को नोचकर नाली में फेंक दिया। महिलाओं ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया।
जिला गोंडा के मसकनवा बाजार इलाके में 9 अक्टूबर, 2024 को दुर्गा पूजा पंडाल में मूर्ति स्थापित करने के बाद देवी की आँखों पर से पट्टी हटाई गई थी। इस मूर्ति की स्थापना बीते कई सालों से की जाती है। इस मौके पर यहाँ बड़ी संख्या में हिन्दू इकट्ठा थे।पूजा अर्चना के बाद कुछ हिन्दू बच्चे इस पंडाल के बाहर पटाखे फोड़ने लगे।
पटाखों की आवाज सुन कर पास में रहने वाले मुस्लिम भड़क गए। मुस्लिम परिवार के लोग बाहर निकल कर हिन्दुओं को गालियाँ देने लगे और हमलावर हो गए। उन्होंने पहले हिन्दुओं पर पथराव किया और फिर लाठी डंडों से हमला कर दिया।
उधर, कुशीनगर में एक और गंभीर घटना सामने आई, जब दुर्गा पूजा के दौरान मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मूर्ति पर पथराव किया। इस घटना में 10 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस ने स्थिति को काबू में करने के लिए आरोपितों को गिरफ्तार किया और इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी। हिंदू समुदाय ने प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की।
violence on Hindu festivals: बहराइच में हिंसा का ताण्डव
अब बहराइच की हिंसा इसका नया उदाहरण है जहां मूर्ति विसर्जन के लिये जा रहे एक व्यक्ति को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। यह जानकारी उन्हीं घटनाओं की है, जो मीडिया में सामने आई हैं या जिनकी जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल हुई। बढ़ते इस्लामी कट्टरपंथ को देखते हुए कहा जा सकता है कि कई घटनाएँ संभवतः बाकी शोर शराबे में दब गई होंगी।
कुल मिलाकर कट्टरपंथियों की जेहादी सोच के कारण पिछले कुछ वर्षों से शोभा यात्राओं या फिर प्रतिमा विसर्जन यात्राओं का शांतिपूर्ण माहौल में निकलना कठिन होता जा रहा है। इन धार्मिक यात्राओं पर पत्थरबाजी कई बार दंगों का रूप धारण कर लेती है, जैसा कि बहराइच में हुआ। यहां दुर्गा पूजा विसर्जन यात्रा पर घरों की छतों से पथराव हुआ। एक सतानती की हत्या कर दी गई और उसके बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी।
प्रश्न यह है कि जब यह सब हो रहा था, तब पुलिस कहां थी? पुलिस की अकर्मण्यता की वजह से ही दूसरे दिन युवक के अंतिम संस्कार को पहले फिर हिंसा भड़क उठी और उग्र लोगों ने कई घरों में तोड़फोड़ की और दुकानें जला दीं। यह ठीक है कि वरिष्ठ अधिकारियों के पहुंचने के बाद हिंसा पर काबू कर लिया गया, लेकिन अहम प्रश्न यह है कि क्या सद्भाव के माहौल की वापसी हो सकेगी और उन तत्वों को सबक सिखाने वाली ठोस कार्रवाई हो सकेगी, जिनके कारण हिंसा का सिलसिला कायम हुआ?
violence on Hindu festivals: सरकार को उठाने होंगे कड़े कदम
सबसे दुखद यह है कि इस तरह की किसी भी घटना के बाद कुछ लोग सवाल खड़े करने लगते हैं कि अमुक क्षेत्र से यात्रा निकाली ही क्यो गई। किसी भी क्षेत्र को हिंदू- मुस्लिम क्षेत्र के रूप में परिभाषित करना क्या उचित है। दरअसल, हिंदू मुस्लिम क्षेत्र की बातें ही विभाजनकारी और शरारत भरा एजेंडा हैं। ऐसे एजेंडे आम तौर पर वोट बैंक की राजनीति के तहत चलाए जाते हैं।
इस एजेंडे की काट के साथ यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए किसी भी समुदाय के धार्मिक आयोजन हिंसक तत्वों को शिकार न बनने पाएं ।
राज्य सरकार को धार्मिक आयोजनों को निशाना बनाने वाले तत्वों के खिलाफ कड़े कदम उठाकर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए ताकि फिर बहराइच, कौशांबी और गोंडा जैसी घटनाएं न हों।ऐसी घटनाओं से माहौल तो खराब होता ही है सरकारी सम्पति को भी काफी नुकसान पहुंचता है।
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बहरहाल, बहारइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान रामगोपाल मिश्र की नृशंस हत्या पर विश्व हिंदू परिषद ने आक्रोश व्यक्त किया है। परिषद ने कहा कि पूरे देश में यह ट्रेंड चल पड़ है। कभी शोभायात्रा पर कभी, गरबा पंडाल में , कभी गणेश पूजन पर हमला हो रहा है। हर त्योहार तनाव से गुजर रहा है, जिसे हिंदू समाज स्वीकार नहीं करेगा।
संजय सक्सेना,लखनऊ