Waqf Board: वक्फ बोर्ड की आड़ में जमीन कब्जाने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी

Waqf Board: वक्फ बोर्ड की आड़ में जमीन कब्जाने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी

Waqf Board:  वक्फ और वक्फ की संपत्तियों को लेकर हिंदुस्तान में अक्सर सही-गलत चर्चा होती रहती है। हममें से अधिकांश लोगों ने वक्फ का नाम तो सुना है, लेकिन वह इसके बारे में बहुत कुछ जानते नहीं हैं। वक्फ होता क्या है। किसी मस्जिद या दूसरे धर्मस्थल के वक्फ होने का मतलब क्या है? और क्या मोदी सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड के संविधान में तब्दीली की कोशिशों का असर मुस्लिम धर्मस्थलों के स्टेटस पर पड़ सकता है?

Waqf Board: क्‍या है वक्‍फ संपत्ति

चूंकि भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे बड़ा भूस्वामी वक्फ बोर्ड ही है। इसलिए हम इन सारे सवालों का जवाब जानने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि भारत में इस्लाम की आमद के साथ  वक्फ के उदाहरण मिलने लगे थे। दिल्ली सल्तनत के वक्त से वक्फ संपत्तियों का लिखित जिक्र मिलने लगता है।

मुगल शासन काल में क्योंकि ज्यादातर संपत्ति राजा महाराजाओं के पास ही होती थी, इसीलिए प्रायः वही वाकिफ होते, और वक्फ कायम करते जाते। जैसे कई बादशाहों ने मस्जिदें बनवाईं, वो सारी वक्फ हुईं और उनके प्रबंधन के लिए स्थानीय स्तर पर ही इंतजामिया कमेटियां बनती रहीं।

इसके पश्चात 1947 में आजादी के बाद पूरे देश में पसरी वक्फ संपत्तियों के लिए एक स्ट्रक्चर बनाने की बात उठने लगी। इस तरह 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 पास किया। इसी के नतीजे में वक्फ बोर्ड बना। ये एक ट्रस्ट था, जिसके तहत सारी वक्फ संपत्तियां आ गईं। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर राज्यों के लेवल पर वक्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया।  इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया।

Waqf Board: मनमोहन सरकार ने किया था संसोधन

2013 में मनमोहन सरकार के समय इसमें कई संशोधन करके इसे पूरी तरह से तानाशाही रूप दे दिया गया। फिलहाल जो व्यवस्था है, वो इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत चल रही है,इसमें सबसे खतरनाक संशोधन यह था कि वक्फ बोर्ड जिस किसी सम्पति को अपना बता दे तो फिर वह उसकी बिना किसी जांच पड़ताल के हो जाती है और जिसकी सम्पति छीनी जाती है,वह कोर्ट या पुलिस के पास भी अपनी फरियाद लेकर नहीं जा सकता है।

प्रायः मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत ही आते हैं. लेकिन इसके अपवाद भी हैं। जैसे ये कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता। इस दरगाह के प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है.

Waqf Board: मोदी सरकार लायी विधेयक

वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाने और बेहतर प्रबंधन व पारदर्शिता के लिए मोदी सरकार ने आठ अगस्त 2024 को लोकसभा में दो विधेयक पेश किये। पहले विधेयक के जरिये सरकार मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को समाप्त करने को कटिबद्ध लगती है, जबकि दूसरे से मुसलमान वक्फ अधिनियम 1995 में 44 संशोधन किए जाएंगे।

सरकार इस विधेयक में बोहरा-आगाखानी के लिए अलग वक्फ बोर्ड का प्रावधान करेगी और किसी की संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने के अधिकार से संबंधित धारा 40 को समाप्त कर देगी।
मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक संसद में पेश करने से एक दिन पहले  कहा कि विधेयक लाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन करना है। विधेयक पेश किए जाने के बाद सरकार ने इसे व्यापक विमर्श और सर्वसम्मति के लिए प्रवर समिति को भेज दिया है।

दूसरे विधेयक में वक्फ अधिनियम 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता विकास अधिनियम करने का प्रावधान है। इसमें वक्फ बोर्डों के केंद्रीय परिषद और ट्रिब्यूनल की संरचना में व्यापक बदलाव लाने का भी प्रावधान है। मसलन केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य बनाया जाएगा।

इसके अलावा कानून में संशोधन के बाद अब वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश को 90 दिन के अंदर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार अब जिला कलेक्टर या उसके की ओर से नामित डिप्टी कलेक्टर के पास होगा।

Waqf Board: मोदी सरकार करेगी 44 संशोधन

विधेयक की खास बातों पर नजर डाली जाए तो मोदी सरकार वक्फ अधिनियम, 1923 को वापस लेगी।  पारदर्शिता, बेहतर प्रबंधन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए 44 संशोधन किये जायेंगे। जिसके द्वारा आगाखानी व बोहरा वक्फ को परिभाषित किया जाएगा। पांच साल तक मुस्लिम धर्म का पालन करने वालों की संपत्ति वक्फ हासिल कर सकेगा।

वक्फ के धन से विधवा, तलाकशुदा व अनाथों के कल्याण के लिए सरकार के सुझाए तरीके से काम करने होंगे। संपत्ति वक्फ को देने के दौरान उत्तराधिकारियों और महिलाओं के अधिकार नहीं छीने जा सकेंगे। वहीं रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियों को 6 माह में पोर्टल पर डालना होगा। वक्फ संपत्तियों से मिलने वाले भू राजस्व, सेस, उसका रेट, कर, आय, कोर्ट मामले की जानकारी भी बतानी होगी।सरकारी संपत्ति को वक्फ अपनी संपत्ति घोषित नहीं कर पाएगा।

Waqf Board: ये कानून होंगे खत्‍म

वक्फ बोर्ड में जो बदलाव होंगे उसके अनुसार  मुसलमान वक्फ कानून 1923 खत्म होगा। वक्फ अधिनियम होगा एकीकृत वक्फ प्रबंधन कानून, धारा 40 होगी खत्म, जिससे किसी की संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार मिल जाता है।

दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार यूपीए-2  में मनमोहन सिंह सरकार ने 2013 में वक्फ अधिनियम में संशोधन कर वक्फ बोर्ड को किसी की भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित करने और वक्फ बोर्ड के निर्णयों को किसी भी कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार खत्म करने जैसे बदलाव किए गए थे।

सरकारी सूत्रों के अनुसार तब से मुस्लिम समाज से जुड़े व्यक्तियों व संगठनों की करीब 60 हजार शिकायतें सरकार के पास लंबित हैं। इन सभी शिकायतों में वक्फ बोर्ड में भारी अनियमितता व जबरन संपत्ति पर कब्जा जैसी समान बातें थीं।

संशोधन विधेयक में वक्फ परिषद में भी बदलाव का प्रावधान है। मसलन परिषद के अध्यक्ष अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री होंगे।तीन सांसद, मुसलमानों के तीन प्रतिनिधि, मुस्लिम कानून के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व जज, एक वरिष्ठ वकील, देश की चार नामचीन हस्तियां व केंद्र सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त स्तर के अधिकारी व दो महिलाएं इसकी सदस्य होंगी।

Waqf Board: विपक्ष ने की ये मांग

उधर, विपक्षी दलों ने बिल पेश होने से पहले ही सरकार से आग्रह किया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को पेश किये जाने के बाद इस पर विचार करने के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जाए। वहीं सरकार ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की भावना का आकलन करने के बाद वह इस पर फैसला करेगी।

इसी क्रम में मोदी सरकार ने बहुचर्चित वक्फ अधिनियम में संशोधन वाला विधेयक लोकसभा में पेश करने के बाद विपक्ष की मांग पर ध्यान देते हुए उसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का जो फैसला लिया, वह इस दृष्टि से सही कदम है, क्योंकि इस समिति में उस पर विस्तार से और संभवतः दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार हो सकेगा।

इससे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि विपक्ष के पास यह बहाना नहीं रह जाएगा कि सरकार ने एक महत्वपूर्ण विधेयक बिना बहस आनन-फानन पारित करा लिया और उसकी कोई बात नहीं सुनी गई।

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Waqf Board: इन कानूनों पर विपक्ष ने लगाया अड़ंगा

ध्यान रहे कि मोदी सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में अनेक विधेयकों के संसद से पारित होने और उनके कानून में परिवर्तित हो जाने के बाद विपक्ष ने यह माहौल बनाया कि उन पर संसद में चर्चा नहीं होने दी गई।

ऐसे कुछ कानूनों को लेकर जनता को बरगलाने का भी काम किया गया। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए और फिर कृषि संबंधी तीन कानूनों को लेकर विपक्ष ने अपने संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए किस तरह जनता को गुमराह किया।

देखना है कि शीघ्र गठित होने वाली संयुक्त संसदीय समिति वक्फ संशोधन अधिनियम पर किस तरह विचार करती है और वह कोई आम सहमति कायम कर पाती है या नहीं?यह अब यक्ष प्रश्न होगा।

संजय सक्सेना,लखनऊ

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