जिस संसद भवन के उद्घाटन पर मचा है सियासी बवाल, उस पर क्या कहता है संविधान
New Delhi: 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन होने जा रहा है। यह भवन मौजूदा संसद भवन की जगह लेगा। हालांकि, इसके उद्घाटन को लेकर लगातार सियासी बवाल मचा हुआ है। कई राजनीतिक दलों ने 28 मई को होने वाले समारोह के बहिष्कार का एलान किया है। इसमें कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नाम शामिल हैं।
दरअसल, 28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। हालांकि, इससे पहले कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, आप, जेडीयू, आरजेडी, सीपीआई समेत कई विपक्षी पार्टियों ने इस समारोह का बहिष्कार किया है। जानकारी के मुताबिक, समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार को लेकर विचार-विमर्श किया है। कहा जा रहा है कि जल्द ही सदन के सभी नेता एक संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं। इसमें कार्यक्रम के संयुक्त बहिष्कार की घोषणा की जाएगी। हालांकि, कई पार्टियां पहले ही कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की बात कह चुकी हैं।
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर और मनीष तिवारी ने संविधान के कई अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रपति को पीएम के बजाय भवन का उद्घाटन करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि राष्ट्रपति मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा।
एक के बाद एक राजनीतिक दलों के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार करने पर भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इन दलों पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस संविधान का गलत हवाला दे रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता अपने पाखंड को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने क्रमशः 24 अक्टूबर, 1975 को पार्लियामेंट एनेक्सी का उद्घाटन किया और 15 अगस्त 1987 को पार्लियामेंट लाइब्रेरी की आधारशिला रखी।
क्या कहता हैं संविधान?
संविधान विशेषज्ञ और संसदीय मामलों के जानकारो के मुताबिक ऐसा कोई भी प्रावधान संविधान में नहीं है कि कौन इस तरह के भवन का उद्घाटन करेगा। सभी जानते हैं कि राज्यसभा, लोकसभा और राष्ट्रपति संसद के अभिन्न अंग हैं। राष्ट्रपति ही संसद का अहम हिस्सा होता हैं। ये सत्र बुलाते है.. भंग करते है। राष्ट्रपति ही बिल पास करते हैं।
उनका कहना है कि जब कभी ऐसे मामलों पर फैसले लेने की बात आती है, जिसका जिक्र संविधान में नहीं किया गया हो तो ऐसी स्थितियों में सदन पिछली परंपराओं को मानकर चलते है। आपको बता दें वैसे साल 1975 में जब संसद एनेक्सी भवन तैयार हुआ था तो उसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था वहीं 1987 में संसद पुस्तकालय का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किया गया था। इसी कड़ी में बीजेपी का कहना है कि जब कांग्रेस की सरकार के मुखिया उद्घाटन कर सकते हैं तो उनकी सरकार के मुखिया क्यों नहीं कर सकते हैं।
पहले संसद भवनों का उद्घाटन किसने किया था?
पार्लियामेंट हाउस एनेक्सी
आजादी के बाद जैसे-जैसे संसद में गतिविधियां बढ़ीं, तत्कालीन सरकारों ने अधिक स्थान की आवश्यकता महसूस की। लोकसभा सचिवालय के दस्तावेज ‘पार्लियामेंट हाउस एस्टेट’ के अनुसार, पार्लियामेंट हाउस एनेक्सी का निर्माण संसदीय दलों, पार्टियों के लिए बैठक हॉल, संसदीय समितियों के अध्यक्षों के लिए समिति कक्ष और कार्यालयों और दोनों सदनों के सचिवालयों के लिए किया गया था।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के मुख्य वास्तुकार जेएम बेंजामिन द्वारा इस भवन का डिजाइन तैयार किया गया था। 3 अगस्त 1970 को तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि ने इसकी आधारशिला रखी थी। पांच साल बाद, 24 अक्टूबर 1975 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भवन का उद्घाटन किया।
पार्लियामेंट लाइब्रेरी
15 अगस्त 1987 को, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पार्लियामेंट लाइब्रेरी की आधारशिला रखी। वहीं, इसका उद्घाटन सात मई 2002 को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन द्वारा किया गया। 60,460 वर्ग मीटर क्षेत्र के दायरे साथ चार मंजिलों में फैला, पुस्तकालय अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित एक वातानुकूलित इमारत है।
पार्लियामेंट एनेक्सी एक्सटेंशन बिल्डिंग
2017 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई की उपस्थिति में संसद भवन एनेक्सी विस्तार भवन का उद्घाटन किया था। इसमें समिति कक्ष, एक सभागार, एक बैंक्वेट हॉल और स्थायी समितियों के अध्यक्षों के कक्ष हैं। विस्तार भवन की आधारशिला मई 2009 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने रखी थी। निर्माण कार्य मई 2011 में शुरू हुआ और दिसंबर 2016 में पूरा हुआ।