WIPRO के अजीम प्रेमजी आज होंगे रिटायर, परोपकार के मामले में नहीं है कोई आसपास

नई दिल्लीः आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अजीम प्रेमजी आज रिटायर होने वाले हैं. 74 साल के अजीम प्रेमजी अपनी कंपनी को 53 साल तक संभालने के बाद इसकी बागडोर अपने बेटे रिशद प्रेमजी के हाथ में सौंप देंगे. उनके बेटे रिशद प्रेमजी जो इस समय कंपनी के मुख्य रणनीति अधिकारी और निदेशक मंडल के सदस्य हैं वो कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन का पद 31 जुलाई से संभालेंगे.

हालांकि सूत्रों के मुताबिक अजीम प्रेमजी अपनी फर्म के नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और संस्थापक चेयरमैन के रूप में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में साल 2024 तक बने रहेंगे.

अजीम प्रेमजी जिन्हें अनौपचारिक रूप से भारतीय आईटी उद्योग के सम्राट के रूप में जाना जाता है वो न केवल आईटी इंडस्ट्री के बिजनेस टायकून के रूप में प्रसिद्ध हैं बल्कि परोपकार के मामले में उनकी पहचान विश्व प्रसिद्ध है. अजीम प्रेमजी देश की आईटी कंपनियों में विप्रो को अग्रणी स्थान दिलाने वाले मशहूर बिजनेसमैन ही नहीं बल्कि परोपकार के मामले में देश में सबसे आगे रहने वाले उद्योगपति भी हैं. परोपकार के मामले में वो एशिया के नंबर 1 उद्योगपति हैं और इस मामले में दुनिया के टॉप 5 बिजनेसमैन में उनका नाम शामिल है.

शुरुआती जीवन
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था और उनका पूरा नाम अजीम हाशिम प्रेमजी है. उनके पिता हाशिम प्रेमजी एक नामी बिजनेसमैन थे जिन्हें बर्मा के चावल किंग के तौर पर जाना जाता था. भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय जिन्ना ने उनके पिता हाशिम प्रेमजी से पाकिस्तान चलने को कहा पर हाशिम प्रेमजी ने भारत में ही रहना पसंद किया.

अजीम प्रेमजी के पास अमेरिका के कैलोफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री है जो इंजीनियरिंग की ग्रेजुएट डिग्री के बराबर मानी जाती है. अगस्त 1966 में उन्हें पिता की मृत्यु के बाद भारत वापस बुला लिया गया, उस समय उनकी उम्र 21 वर्ष थी लेकिन उन्होंने पिता की छोड़ी विरासत को न केवल आगे बढ़ाया बल्कि उसमें कई गुना उन्नति के अध्याय जोड़े.

कारोबार
विप्रो शुरुआत में साबुन और वेजिटेबिल ऑयल के कारोबार में थी पर 1970 के दशक में अजीम प्रेमजी ने अमेरिकन कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉर्पोरेशन के साथ हाथ मिलाया और उसके बाद विप्रो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अजीम प्रेमजी ने 1980 में विप्रो को आईटी कंपनी के तौर पर इंट्रोड्यूस कराया और कंपनी पर्सनल कंप्यूटर बनाने के साथ सॉफ्टवेयर सर्विसेज भी प्रोवाइड कराने लगी. इसके बाद ही कंपनी का नाम बदलकर विप्रो (WIPRO) किया गया था. यही विप्रो आज भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी के तमगे को हासिल किए हुए है. विप्रो को आज इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी और एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में शुमार किया जाता है.

अजीम प्रेमजी को मिले हुए सम्मान
साल 2010 में वो एशियावीक द्वारा दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली पुरुषों में से एक चुने गए थे. वो दो बार टाइम मैगजीन के दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो चुके हैं. एक बार साल 2004 में और एक बार साल 2011 में. साल 2000 में, उन्हें मणिपाल अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन द्वारा मानद डॉक्टरेट दिया गया. साल 2006 में, अजीम प्रेमजी को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, मुंबई द्वारा लक्ष्मी बिजनेस विजनरी से सम्मानित किया गया था. साल 2009 में, उन्हें अपने उत्कृष्ट परोपकारी काम के लिए मिडलटाउन, कनेक्टिकट में वेस्लेयन विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया था. साल 2013 में, उन्हें ईटी लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला और इसके अलावा साल 2015 में, मैसूर विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टरेट प्रदान किया, वहीं अप्रैल 2017 में, इंडिया टुडे पत्रिका ने उन्हें साल 2017 के भारत के 50 सबसे शक्तिशाली लोगों की लिस्ट में 9 वां स्थान दिया था.

भारत सरकार की ओर से दिए गए सम्मान
इसके अलावा अजीम प्रेमजी को साल 2005 में भारत सरकार ने व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था और साल 2011 में उन्हें पद्म विभूषण प्रदान किया गया जो भारत सरकार का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है.

अजीम प्रेमजी फाउंडेशन
2001 में, उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की. ये एक गैर-लाभकारी संगठन है जो कि प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है. इसके जरिए भारत के 1.3 मिलियन सरकारी संचालित स्कूलों में व्यवस्था परिवर्तन की संभावना पर काम किया जा रहा है. दिसंबर 2010 में उन्होंने भारत में स्कूली शिक्षा के लिए 2 अरब डॉलर दान करने का प्रण लिया जो कि अपनी तरह का सबसे बड़ा दान था. इसके अलावा मार्च 2019 में प्रेमजी ने अपने पास रखे हुए विप्रो के 34 फीसदी शेयर अजीम प्रेमजी फाउंडेशन में दे दिए जिनकी कीमत करोड़ों डॉलर में है.

‘द गिविंग प्लेज’
फिलहाल अजीम प्रेमजी देश के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं और उनके पास मई 2019 तक करीब 21.5 अरब डॉलर की संपत्ति थी. साल 2013 में उन्होंने ‘द गिविंग प्लेज’ के जरिए अपनी आधी संपत्ति दान करने पर सहमति जताई और इसके तहत उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के जरिए शुरुआत में ही करीब 2.2 अरब डॉलर दान कर दिए और भारत में शिक्षा पर फोकस किया. वो वॉरेन बफेट और बिल गेट्स के नेतृत्व में एक अभियान, द गिविंग प्लेज के लिए साइन अप करने वाले पहले भारतीय बने. इस परोपकार क्लब में शामिल होने के लिए रिचर्ड ब्रैनसन और डेविड सैन्सबरी के बाद वह तीसरे गैर-अमेरिकी हैं.

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427