राज्यसभा में पेश हुआ महिला आरक्षण विधेयक, पारित हुआ तो बनेगा इतिहास

संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन आज महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया। इससे पहले बुधवार को लोकसभा में दो तिहाई बहुमत से महिला आरक्षण से संबंधित ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पारित हो गया।लोकसभा में विधेयक के समर्थन में 454 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 2 वोट पड़े।विधेयक के राज्यसभा से भी पारित हो जाने के बाद लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा से विधेयक पारित होने पर जताई खुशी

लोकसभा से विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक के साथ नए सदन की शानदार शुरुआत हुई। इससे महिलाओं के नेतृत्व में विकास को अभूतपूर्व गति मिलेगी।’उन्होंने लिखा, ‘इस विधेयक को जिस प्रकार से सभी राजनीतिक दलों का ऐतिहासिक समर्थन मिला है, वह विकसित और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की सिद्धि में मील का पत्थर साबित होगा। मैं सभी सांसदों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।’

विपक्ष ने की विधेयक में OBC आरक्षण की मांग

लोकसभा में कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने विधेयक में कुछ संशोधन की आवश्यकता बताई।विपक्षी पार्टियों का कहना है कि विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की महिलाओं को भी अलग से आरक्षण मिलना चाहिए और ये आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू होना चाहिए।उनका कहना है कि इस बहुप्रतीक्षित विधेयक को जनगणना और परिसीमन तक रोकना महिलाओं के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी होगी।

27 साल से संसद में लटका हुआ है विधेयक

विशेष सत्र के दूसरे दिन 19 अगस्त को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पेश किया था। इससे पहले भी ये विधेयक कई बार संसद में पेश हो चुका है, लेकिन पिछले 27 साल से पारित नहीं हुआ।लोकसभा के बाद गुरुवार को विधेयक का राज्यसभा से भी पारित होने तय माना जा रहा है। इसके बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही ये कानून बन जाएगा।

महिला आरक्षण विधेयक में क्या हैं प्रावधान?

विधेयक में राज्य विधानसभाओं, दिल्ली की विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं।इन 33 प्रतिशत में से एक तिहाई सीटें SC/ST महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी, यानी SC/ST महिलाओं को आरक्षण के भीतर ही आरक्षण मिलेगा। OBC महिलाओं को ऐसा कोई लाभ नहीं मिलेगा।विधेयक इसके कानून बनने के बाद होने वाले पहले परिसीमन के बाद लागू होगा।अभी ये आरक्षण 15 साल के लिए है, जिसे संसद आगे बढ़ा सकेगी।

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