महासप्तमी पर इस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा

चैत्र नवरात्रि में मां भगवती के नौ दिव्य स्वरूपों की उपासना की जाती है। इन सबमें चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की उपासना विधि-विधान से की जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सप्तमी तिथि के दिन देवी कालरात्रि की उपासना करने से भय, रोग एवं दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक के जीवन पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है।

माता कालरात्रि पूजा महत्व

देवी पुराण के अनुसार माता कालरात्रि साहस एवं वीरता की देवी हैं। साथ ही नवरात्रि पर्व के सातवें दिन इनकी उपासना करने से सभी प्रकार के भय और दोष का अंत हो जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि माता कालरात्रि की अवतरण शुंभ और निशुंभ नमक दो दैत्यों के वध हेतु हुआ था। साथ ही माता शनि ग्रह को शासित करती हैं। इसलिए इनकी उपासना करने से शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव शासकों पर नहीं पड़ता है।

माता कालरात्रि का स्वरूप

माता कालरात्रि की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी गर्दभ यानि गधा है। माता कालरात्रि के दाएं भुजा में अभय और वरद मुद्रा है। वहीं बाएं भुजा में खड्ग और वज्र नामक अस्त्र विद्यमान हैं। मां कालरात्रि के उग्र रूप में शुभ शक्तियां आसीन हैं, इसलिए इन्हें शुभांकरी नाम से भी जाना जाता है।

माता कालरात्रि पूजा विधि

माता कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि यानी निशिता काल में करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होता है। साथ ही सभी संकटों का नाश हो जाता है। ऐसा यदि संभव नहीं है तो सुबह जल्दी उठें और स्नान-ध्यान क व्रत का संकल्प लें। फिर माता कालरात्रि की प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, गंध, पुष्प, धूप, दीप, मिष्ठान, सिंदूर इत्यादि से मां कालरात्रि की विधवत पूजा करें।

News Source Link:

Related Articles

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (1) in /home/tarunrat/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427