Worship Rule: क्‍या पूजा करते समय इन बातों का रखते हैं ध्‍यान, जानिए क्‍या कहते हैं नीम करोल बाबा

Worship Rule: क्‍या पूजा करते समय इन बातों का रखते हैं ध्‍यान, जानिए क्‍या कहते हैं नीम करोल बाबा

Worship Rule:  पूजा-पाठ, ईश्‍वर का स्‍मरण, ध्‍यान-साधना ये सारी चीजें हमको भगवान से जोड़ती है. हमको मन की शान्ति मिलती है. हर घर में चाहे जो भी धर्म को मानने वाले हों, ईश्‍वर की बंदगी सब करते हैं. हर जगह पूजा करने के कुछ नियम होते हैं. जिसका हमको पालन करना होता है.

जब हम गलत तरीकों से पूजा-पाठ करते हैं, तो हमको उतनी सफलता और शान्ति नहीं मिलती, जिसकी हम उम्‍मीद करते हैं.तो पूजा करते हुए हमें कुछ बातों का अवश्‍य ध्‍यान रखना चाहिए.  जिसका जिक्र सिद्ध पुरूष नीम करोली बाबा ने भी किया है.  तो आइए जानते हैं कि क्‍या है पूजा के नियम…

Worship Rule:  पूजा करते समय इन बातों का रखें ध्‍यान

पूजा करते समय हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके करनी चाहिए, हो सके तो पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच कर लेनी चाहिए. क्‍योंकि माना जाता है कि सुबह की पूजा बहुत फलदायी होती है.

पूजा जमीन पर आसन  पर बैठकर करनी चाहिए, क्‍योंकि कहा जाता है कि पूजा करते समय मंत्र का जाप करने से जो ऊर्जा हमारे शरीर से निकलती है, वो पृथ्‍वी में चली जाती है. इसलिए सदैव आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए.

पूजागृह में सुबह एवं शाम का दो दीपक जलाना चाहिए, एक घी का और एक तेल का रखें. पूजा अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएं करें.

Worship Rule: इन भगवान की खड़ी मूर्ति ना रखें

पूजाघर में भगवान गणेश, सरस्‍वतीजी, लक्ष्‍मीजी की खड़ी मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए और पूजाघर में आप जो भी मूर्ति रखते हों उसकी लंबाई 1,3,5,7,9,11 इंच तक की होनी चाहिए. मंदिर के ऊपर भगवान के वस्त्र, पुस्तकें एवं आभूषण आदि भी न रखें. मंदिर में पर्दा अति आवश्यक है. अपने पूज्य माता -पिता तथा पितरों का फोटो मंदिर में कदापि न रखें.

Worship Rule: परिक्रमा करने में भी बरतें सावधानी

जब हम मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो दर्शन के पश्‍चात हम परिक्रमा करते हैं. यहां भी हमें सावधानी रखनी है. विष्णु की चार, गणेश की तीन,सूर्य की सात, दुर्गा की एक एवं शिव की आधी परिक्रमा कर सकते हैं.

Worship Rule: घर में इतनी ही प्रतिमा रखें

अपने मंदिर में हमे गणेश या देवी की प्रतिमा तीन- तीन, शिवलिंग दो,शालिग्राम दो,सूर्य प्रतिमा दो,गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें.अपने मंदिर में सिर्फ प्रतिष्ठित मूर्ति ही रखें.

उपहार,काँच, लकड़ी एवं फायबर की मूर्तियां न रखें एवं खण्डित, जलीकटी फोटो और टूटा काँच तुरंत हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे विपतियों का आगमन होता है.

Worship Rule: कलश की करें स्‍थापना

 प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिए. कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें. यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहाँ सुख एवं समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण के साथ निवास करती हैं. तुलसी का पूजन भी आवश्यक है.

Worship Rule: इन बातों का भी करें पालन

 मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है.
 घर में झाड़ू कभी खड़ा कर के न रखें, झाड़ू लांघना, पाँवसे कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है. दो झाड़ू को भी एक ही स्थान में न रखें, इससे शत्रु बढ़ते हैं.
 घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें. क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मीजी घर का निरीक्षण करती हैं यदि जूठे बर्तन रखने ही हो तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रख कर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जायेगा.
 कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिए,जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो: वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े.

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 सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री(लक्ष्मी) की वृद्धि होती है .
 साबुत धनिया,हल्दी की पांच गांठें,11 कमलगट्टे तथा साबुत नमक एक थैली में रख कर तिजोरी में रखने से बरकत होती है श्री (लक्ष्मी) व समृद्धि बढ़ती है.
 दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है,उसमे साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है. वहाँ मंगल ही मंगल होते हैं. पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिएं.।
 घर में यदा कदा केसर के छींटे देते रहने से वहां धनात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है. पतला घोल बनाकर आम्र पत्र अथवा पान के पते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिएं.
 एक मोती शंख,पाँच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर,एक ताम्र सिक्का व थोड़ी सी नागकेसर एक थैली में भरकर घर में रखें श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि होगी.
. घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में बाये कंधे पर गमछा रखना  चाहिए,

 

 

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