Worship Shiva in Sawan: सावन में अगर करते हैं शिव की आराधना, तो जानें शिवलिंग और शिव की मूर्ति का पूजा-विधान
Worship Shiva in Sawan: सावन का महीना शिव की आराधना का मास माना गया है. भगवान शिव को देवों का देव कहा गया है. भगवान शिव व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं. सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं. त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं. शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं. उन्हीं शिव की आराधना का समय होता है सावन का महीना.
शिव एक ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है. अक्सर देखने में आता है कि घरो में लोग भगवान शंकर की मूर्ति रख कर पूजा करते हैं. और मंदिर में शिवलिंग के अलावा शिव की मूर्ति की भी पूजा की जाती है. लेकिन उनमें से अधिकतर इस बात से अनजान रहते हैं कि शिवलिंग की पूजा और भगवान् शिव की मूर्ति की पूजा के अलग-अलग तरीके हैं.
तो, चलिए जानते हैं कि भगवान् शिव की मूर्ति की पूजा और शिवलिंग की पूजा में क्या अंतर है…
Worship Shiva in Sawan: शिव की मूर्ति और शिवलिंग की पूजा में अन्तर
- भगवान शिव की मूर्ति पूजा में आसन आवश्यक माना गया है जबकि शिवलिंग पूजा में आसन का होना अनिवार्य नहीं।
- भगवान शिव की मूर्ति पूजा में बैठकर पूजा करने का विधान है जबकि शिवलिंग की पूजा खड़े होकर भी की जा सकती है।
- भगवान शिव की मूर्ति पूजा में जल से ही अभिषेक का विधान है जबकि शिवलिंग की पूजा में दूध, दही, केसर, रुद्राक्ष आदि प्रयोग किये जा सकते हैं।
- भगवान शिव की मूर्ति पूजा में उन्हें वस्त्र अर्पित किये जा सकते हैं जबकि शिवलिंग पूजा में वस्त्रों का कोई स्थान नहीं।
Worship Shiva in Sawan: औरतें नहीं छू सकती शिलिंग
भगवान् शिव की मूर्ति की पूजा आदमी और औरत दोनों कर सकते हैं, जबकि अगर आप शिवलिंग की पूजा करते हैं, तो औरतों को शिवलिंग छूना मना होता है. भगवान शिव की मूर्ति पूजा में आप मूर्ति की पूरी परिक्रमा करते हैं, जबकि शिवलिंग की पूजा में आधी परिक्रमा का ही विधान है.
Worship Shiva in Sawan: शिवलिंग में होता है ऊर्जा का वास
भगवान् शिव की मूर्ति पूजा में उनके साथ माता पार्वती की मूर्ति भी विराजमान की जाती है. शिवलिंग की पूजा में भगवान् शिव की ऊर्जा की पूजा की जाती है. हालांकि, पुराणों के अनुसार शिवलिंग में भगवान् शिव का पूरा परिवार वास करता है. भगवान् शिव की मूर्ति की पूजा उन्हें घर के मंदिर में अन्य भगवानों के साथ स्थापित कर की जा सकती है लेकिन शिवलिंग को न तो घर के मंदिर में स्थापित किया जाता है और ना ही उन्हें स्थापित करने का विधान आसान है.
Vat Savitri worshiped 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर क्यों करते हैं वट सावित्री की पूजा, क्या है धार्मिक महत्व
शिवलिंग एक ऊर्जा का स्वरूप है, वह प्रकृति और पुरुष के संयोजन का प्रतीक है, वह निराकार शिव का स्वरूप है. भगवान् शिव की मूर्ति की तुलना में शिवलिंग का सिद्धांत बहुत ही विस्तृत और आध्यात्मिक है.