योगी कैबिनेट का हुआ विस्तार, चार नए चेहरों से BJP को मिलेगी नई मजबूती
UP: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ कैबिनेट का विस्तार हो चुका है. सुभासपा के एक, आरएलडी के एक और बीजेपी के एक विधायक और एक एमएलसी को मंत्री पद दिया गया है. तीन पार्टियों बीजेपी, आरएलडी और एसबीएसपी के चार विधायक-एमएलसी मंत्री बनाए गए हैं. सुभासपा की तरफ से खुद पार्टी अध्यक्ष ओपी राजभर को मंत्री पद दिया गया है. हाल ही में एनडीए का हिस्सा बनी आरएलडी के एक विधायक को भी योगी कैबिनेट में शामिल किया गया है. कैबिनेट में सुभासपा के ओपी राजभर के अलावा राष्ट्रीय लोक दल की तरफ से अनिल कुमार और बीजेपी की तरफ से विधायक सुनील शर्मा और एमएलसी दारा सिंह चौहान मंत्री बनाए गए हैं.
आरएलडी के अनिल कुमार के जरिए पश्चिमी यूपी पर नजर
योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में राष्ट्रीय लोक दल के अनिल कुमार को भी मंत्री पद दिया गया है. यह पद असल में जयंत चौधरी को बीजेपी की तरफ से ‘वेलकम गिफ्ट’ है, जिनकी पार्टी आरएलडी आगामी लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में पार्टी की अहम सहयोगी होगी.हाल ही में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के बाद जयंत चौधरी बीजेपी के साथ गठबंधन से ‘इनकार नहीं कर पाए’ थे. आरएलडी के विधायक को योगी कैबिनेट में शामिल करके बीजेपी पश्चिमी यूपी के जाट वोटों को साधने की कोशिश में है. हालांकि, कैबिनेट में शामिल किए गए पार्टी के पुरकाजी के विधायक अनिल कुमार, दलित जाटव समाज से आते हैं. इसके जरिए आरएलडी-बीजेपी गठबंधन पश्चिमी यूपी में दलित मतदाताओं को अपने साथ जोड़ सकेगी.
चार साल के बनवास के बाद फिर योगी मंत्रिमंडल में शामिल हुए ओमप्रकाश राजभर
करीब चार साल का वनवास खत्म करने के बाद ओम प्रकाश राजभर एक बार फिर से योगी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए. बीजेपी और योगी सरकार से नाराजगी के चलते राजभर के साथ-साथ उनके दो मंत्रियों ने मई 2019 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था. योगी कैबिनेट में शामिल होने के बाद राजभर ने कहा कि गरीबों की सेवा का जो लक्ष्य है, उसमें हम अनवरत काम करते रहते हैं. सरकार की जो योजनाएं हैं उसे हम गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों तक पहुंचाने का काम करेंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे.
2019 में एनडीए से क्यों अलग हुए थे राजभर?
साल 2019 में योगी कैबिनेट से इस्तीफे के बाद ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था. तब राजभर ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें एक सीट देने को तैयार नहीं थी. उन्होंने दावा करते हुए कहा था कि बीजेपी चाहती थी कि वह कमल के सिंबल पर ही लोकसभा चुनाव लड़े. एनडीए से अलग होने के बाद ओम प्रकाश राजभर ने योगी सरकार के साथ-साथ मोदी सरकार के खिलाफ किस तरह से बयानबाजी की थी यह किसी से छिपा नहीं है.
सुनील शर्मा गाजियाबाद में बीजेपी के बड़े ही कद्दावर नेता हैं. उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव में उन्होंने राज्य में सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी. ब्राम्हण समुदाय से आने वाले सुनील शर्मी को मंत्रिमंडल में शामिल करने के पीछे बीजेपी की बड़ी स्ट्रैटेजी लोकसभा चुनाव में ब्राम्हण वोटों को साधने की है. लोकसभा चुनाव से पहले सुनील शर्मा को मंत्री बनाए जाने से पश्चिमी यूपी से लेकर बीजेपी को तमाम ब्राम्हण बहुल सीटों पर लाभ मिलेगा.
दारा सिंह चौहान भी बनाए गए मंत्री
योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में बीजेपी की तरफ से शामिल किए गए नेता में एमएलसी दारा सिंह चौहान भी एक हैं. वह विधान परिषद के रास्ते योगी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं. मऊ के मधुबन सीट से वह विधायक रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज की थी लेकिन 2022 के चुनाव में टिकट नहीं मिलने की संभावनाओं के बीच उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान ने सपा के टिकट पर घोसी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. हालांकि, सपा को सत्ता नहीं मिली तो दारा सिंह बीजेपी वापसी कर गए. जुलाई 2023 में उन्होंने सपा छोड़ने के साथ ही विधायकी भी छोड़ दी.